WHO की सिफारिश से 10 रुपये वाली सिगरेट हो जाएगी महंगी, जानिए कितनी बढ़ सकती है कीमत

अभी जो सिगरेट 10 रुपये की मिलती है वो जल्दी ही 17-18 रुपये की हो सकती है। इसके पीछे की वजह है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की सिफारिश, जिसमें तंबाकू उत्पादों पर टैक्स 75% करने की बात कही गई है। WHO का मानना है कि जब सिगरेट और तंबाकू महंगे होंगे, तो लोग इन्हें कम खरीदेंगे। इससे उनकी खपत घटेगी और सेहत पर बुरा असर कम होगा। भारत में हर साल लाखों लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण जान गंवाते हैं। ऐसे में सरकार अगर टैक्स बढ़ाती है, तो इससे दो फायदे होंगे – एक, सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा और दो, लोग तंबाकू से दूरी बनाएंगे।

भारत में अभी कितना टैक्स लगता है?

फिलहाल, भारत में तंबाकू उत्पादों पर कुल 53% टैक्स लगता है, जिसमें 28% जीएसटी, 5% कंपनसेशन सेस और लंबाई के हिसाब से 2,076 से 4,170 रुपये प्रति 1,000 सिगरेट का शुल्क शामिल है। हालांकि, WHO के मानक के अनुसार, यह टैक्स काफी कम है। अगर सरकार WHO की सिफारिश को मान लेती है और टैक्स 75% तक बढ़ा दिया जाता है, तो सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के दाम सीधे 1.5 से 2 गुना तक बढ़ सकते हैं। यानी जो सिगरेट आज 10 रुपये की मिलती है, उसकी कीमत 17-18 रुपये हो सकती है।

सरकार की क्या योजना है?

सरकार इस मुद्दे पर दो बड़े फैसलों पर विचार कर रही है:
1- जीएसटी दर को 40% तक बढ़ाना: यह अभी तक की सबसे ऊंची स्लैब होगी। इसके साथ ही, सरकार अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी जोड़ सकती है।
2- हेल्थ सेस लगाना: इससे सिगरेट और तंबाकू उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन राज्यों और केंद्र सरकार के बीच इसे लेकर सहमति बननी बाकी है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार 2026 में कंपनसेशन सेस खत्म होने के बाद तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है कि टैक्स बढ़ाने से सरकार के राजस्व में गिरावट न आए और लोगों पर अचानक भारी आर्थिक बोझ भी न पड़े।

लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

अगर सरकार ने टैक्स बढ़ाया, तो यह आम जनता की जेब पर सीधा असर डालेगा। तंबाकू उत्पादों की कीमतें बढ़ने से धूम्रपान करने वालों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। वहीं, WHO का मानना है कि इस कदम से युवाओं और किशोरों में सिगरेट पीने की आदत को रोका जा सकेगा।
कई देशों में यह नीति सफल रही है, जहां तंबाकू पर टैक्स बढ़ने से लोगों ने इसे छोड़ना शुरू कर दिया। सवाल यह है कि भारत में यह कितना कारगर होगा?

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