वक्फ बिल में 14 बदलाव, फिर भी विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध? जानें पूरा मामला

मोदी सरकार ने वक्फ बिल को 7 महीने बाद फिर से संसद में पेश किया है। इस बार इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट के आधार पर पेश किया गया। हालांकि, विपक्ष ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने उनके विरोध वाले हिस्से को बिल से हटा दिया है, और उनकी राय को नजरअंदाज किया है।

वक्फ बिल में किए गए 14 बड़े बदलाव

जेपीसी की रिपोर्ट में वक्फ बिल में 14 बड़े बदलाव किए गए हैं। इनमें से एक अहम बदलाव ये है कि अब वक्फ को जमीन पर दावा करने के लिए कोर्ट जाने का अधिकार मिलेगा। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों को 6 महीने में WAMSI (वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम इंडिया) पर रजिस्टर करने का समय बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
जेपीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। अब वक्फ बोर्ड में 2 बाहरी लोगों के अलावा राज्य सरकार के दो अधिकारी भी शामिल होंगे।

विपक्ष का विरोध क्यों हो रहा है?

पुराने नियमों में बदलाव

विपक्ष को यह बदलाव पसंद नहीं आया है कि अब वक्फ बोर्ड में राज्य सरकार के दो अधिकारी भी शामिल होंगे। उनका मानना है कि इससे वक्फ की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।

विपक्षी सिफारिशों को न मानना

विपक्ष ने इस बिल में 43 सिफारिशें दी थीं, लेकिन सरकार ने कोई भी नहीं मानी। विपक्ष का मुख्य विरोध इस बात पर है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को भी सदस्य बनाने की सिफारिश को नकार दिया गया। शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत का कहना है कि हिंदू धार्मिक संस्थाओं में मुस्लिम सदस्य नहीं होते, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना गलत है। वे यह भी कहते हैं कि कलेक्टर को वक्फ बोर्ड में अधिकार देना ठीक नहीं है क्योंकि कलेक्टर सरकारी अधिकारी होते हैं, और वक्फ धार्मिक मामलों से जुड़ा होता है।

 

क्या है विपक्ष का और सरकार का नजरिया?

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने भी इस बिल पर असहमति जताई है। उनका कहना है कि इस बिल को लेकर सरकार को और चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार से राय नहीं ली गई है, जबकि जमीन और संपत्ति के मामलों का फैसला राज्य का अधिकार है। ऐसे में यह बिल संविधान के खिलाफ हो सकता है।

सरकार को बिल पेश करने में कोई समस्या नहीं होगी

सरकार को इस संशोधित वक्फ बिल को पेश करने में कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के पास पर्याप्त संख्या में सांसद हैं। लोकसभा में एनडीए के पास 296 सांसद हैं, और राज्यसभा में भी करीब 130 सांसद सरकार के पक्ष में हैं। हालांकि, पहले जिन दलों ने इस बिल के कुछ हिस्सों का विरोध किया था, जैसे जेडीयू और टीडीपी, अब वे सरकार के समर्थन में हैं।

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