2024 लोकसभा चुनाव में NRI वोटिंग प्रतिशत

विदेशों में रह रहे भारतीयों का मतदान बेहद कम, आंकड़े देख कर चुनाव आयोग भी हैरान!

2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान विदेश में रह रहे भारतीयों का वोट डालने का आंकड़ा बेहद चिंताजनक सामने आया है। चुनाव आयोग ने हाल ही में जिन आंकड़ों का खुलासा किया, उनसे यह स्पष्ट होता है कि जिन भारतीय प्रवासियों ने वोटर लिस्ट में अपना नाम तो जुड़वाया था, लेकिन मतदान के दिन महज कुछ ही प्रतिशत लोग वोट डालने भारत आए। यह स्थिति चुनाव आयोग के लिए किसी झटके से कम नहीं है, खासकर उस स्थिति में जब वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने का आंकड़ा बहुत अच्छा था।

1.2 लाख भारतीयों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन वोट डाला केवल 2.48%

चुनाव आयोग के अनुसार, 2024 में कुल 1,19,374 प्रवासी भारतीयों ने वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया था। इनमें से अधिकांश रजिस्ट्रेशन केरल राज्य से हुए थे, जहां 89,839 प्रवासियों ने अपने नाम रजिस्टर कराए। हालांकि, यह रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा बहुत अच्छा होने के बावजूद, चुनाव के दौरान महज 2,958 लोग ही अपने मताधिकार का प्रयोग करने भारत आए। इनमें से भी 2,670 लोग अकेले केरल से थे, जो कि आंकड़ों के मुताबिक, बेहद कम संख्या है।

विदेशों में भारतीयों का वोट प्रतिशत बहुत ही कम, चुनाव आयोग में निराशा

चुनाव आयोग ने इन आंकड़ों के आधार पर अपनी निराशा जाहिर की है। एक तरफ, लाखों भारतीयों ने वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराते समय उत्साह दिखाया, लेकिन दूसरी तरफ चुनाव के दिन उनका मतदान प्रतिशत बेहद कम था। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में 885 रजिस्टर्ड NRI मतदाताओं में से केवल दो ही लोग मतदान के लिए पहुंचे। वहीं, महाराष्ट्र में 5,097 NRI मतदाताओं में से महज 17 लोग ही वोट डालने आए। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 7,927 पंजीकृत NRI मतदाता थे, लेकिन केवल 195 लोग ही वोट डालने भारत आए।

राज्य पंजीकृत NRI मतदाता (रजिस्ट्रेशन) मतदान करने वाले NRI मतदाता मतदान प्रतिशत (%)
केरल 89,839 2,670 2.97%
गुजरात 885 2 0.23%
महाराष्ट्र 5,097 17 0.33%
आंध्र प्रदेश 7,927 195 2.46%
कर्नाटक 3,883 0 0%
उत्तर प्रदेश 3,142 0 0%
तमिलनाडु 4,200 0 0%
बिहार 89 0 0%
गोवा 84 0 0%
असम 19 0 0%

 

कुछ राज्य जहां एक भी NRI नहीं आया मतदान करने

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि कुछ बड़े राज्यों से तो एक भी NRI मतदाता वोट डालने भारत नहीं आया। इनमें कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्य शामिल हैं। असम और बिहार में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहां असम के 19 मतदाताओं में से किसी ने भी मतदान नहीं किया, जबकि बिहार में 89 रजिस्टर्ड NRI मतदाताओं में से एक भी मतदाता ने वोट नहीं डाला। गोवा में भी यही स्थिति थी, जहां 84 रजिस्टर्ड NRI मतदाताओं में से कोई भी वोट डालने नहीं आया।

NRI वोटिंग में कमी के क्या हैं कारण?

चुनाव आयोग के मुताबिक, NRI वोटिंग में कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण समय की कमी और भारी यात्रा खर्च बताया जा रहा है। मतदान के लिए भारतीय प्रवासियों को अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में जाकर वोट डालना पड़ता है, जिससे लंबी यात्रा और खर्च की समस्या उत्पन्न होती है। इसके अलावा, कई देशों में भारतीय नागरिकों के पास भारत लौटने के लिए समय नहीं होता, जिससे उनका वोट डालना मुश्किल हो जाता है।

NRI वोटिंग के लिए एक और प्रमुख समस्या यह है कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को मतदान के लिए खुद भारत आकर मतदान केंद्र पर पहुंचना पड़ता है। यह प्रक्रिया उन्हें समय और पैसे की बर्बादी जैसा महसूस हो सकता है, जिसके कारण वे मतदान में हिस्सा नहीं लेते। इसके अलावा, कुछ प्रवासी भारतीयों को मतदान की प्रक्रिया के बारे में जानकारी की कमी भी हो सकती है, जो उन्हें वोट डालने से हतोत्साहित करती है।

क्या NRI वोटिंग के लिए कोई सुधार संभव है?

चुनाव आयोग और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि NRI वोटिंग को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुधारों की आवश्यकता है। एक सुझाव यह है कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा शुरू की जाए, ताकि उन्हें भारत आकर मतदान करने की आवश्यकता न हो। इसके अलावा, भारतीय सरकार को यह भी देखना चाहिए कि प्रवासी भारतीयों को मतदान के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें मतदान के महत्व के बारे में बताया जाए।

क्या होगा यदि NRI वोटिंग में कमी बनी रहती है?

अगर NRI वोटिंग में यह कमी बनी रहती है, तो इससे भारतीय लोकतंत्र की प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है। विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय की एक बड़ी संख्या है, जो देश के विकास में योगदान देती है। इसलिए उनका वोट डालना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि भारत में रहने वाले नागरिकों का। ऐसे में चुनाव आयोग और सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेकर सुधार के उपाय करने होंगे।

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