IC-814: नेटफ्लिक्स पर 29 अगस्त को प्रीमियर हुई वेब सीरीज “IC 814 द कंधार हाईजैक” को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल मचा हुआ है। इस सीरीज में 1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 के हाईजैकिंग की कहानी दिखाई गई है। लेकिन शो के कुछ हिस्सों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। खासकर आतंकवादियों के नाम बदलकर ‘भोला’ और ‘शंकर’ रखे जाने पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सरकार ने भेजा था समन
इस विवाद के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2 सितंबर को नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट हेड को समन भेजा। इसके बाद नेटफ्लिक्स के हेड मोनिका शेरगिल को मंत्रालय के अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ा। इस मीटिंग के बाद नेटफ्लिक्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें तय किया गया कि सीरीज में बदलाव किए जाएंगे।
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सीरीज में असली नामों की वापसी
अब नेटफ्लिक्स ने फैसला किया है कि शो के डिस्क्लेमर में आतंकवादियों के असली नाम और उनके कोड नाम दोनों को शामिल किया जाएगा। इस कदम से यह उम्मीद जताई जा रही है कि विवाद को सुलझाया जा सकेगा और दर्शकों की आपत्तियों को ध्यान में रखा जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अनुभव सिन्हा, पंकज कपूर, दीया मिर्जा, नसरूद्दीन शाह, कुमुद मिश्रा, विजय वर्मा, पत्रलेखा, मनोज पाहवा, पूजा गौर और शो के प्रोड्यूसर्स भी मौजूद थे। नेटफ्लिक्स की ओर से इस बात का भी आश्वासन दिया गया है कि भविष्य में वेब सीरीज और फिल्मों के लिए दर्शकों की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा।
कहां से आया ‘शंकर’ और ‘भोला’ का नाम
दरअसल, यह वेब सीरीज IC 814 हाईजैक की सच्ची घटना पर आधारित है, और इसकी कहानी कैप्टन देवी शरण की किताब पर आधारित है। अब से 24 साल पहले प्रकाशित इस किताब में ही इन नामों का जिक्र है। किताब में बताया गया है कि काठमांडू से दिल्ली आ रहे प्लेन में बैठे लोगों को धोखा देने के लिए आतंकियों ने अपने कोडनेम बनाए थे। इनमें ‘चीफ’, ‘डॉक्टर’, ‘बर्गर’ और ‘भोला’ जैसे नाम शामिल थे। इसीलिए वेब सीरीज में इन नामों का इस्तेमाल किया गया है।
सिर्फ यही नहीं, ‘IC 814 Hijacked: The Inside Story’ नाम की किताब में भी इन नामों का इस्तेमाल किया गया है। इस किताब के लेखक अनिल के. जगिया उस प्लेन में फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर मौजूद थे। किताब में आतंकियों का विवरण देते हुए बताया गया है कि ‘बर्गर’ लंबा और अंग्रेजी बोलने वाला था, ‘डॉक्टर’ चश्मा पहने हुए था, और ‘शंकर’ बहुत लंबा और कम बोलने वाला था। ‘भोला’ की ऊंचाई भी कम थी और उसकी बात करने की शैली से यह अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह कश्मीरी था। इसलिए, ‘शंकर’ और ‘भोला’ नाम जानबूझकर नहीं चुने गए थे। ये नाम असल में आतंकियों के कोडनेम थे, और किताबों में भी यही बताया गया है।
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