भारत में हर साल सड़क हादसों में कई लोगों की जान चली जाती है। बिना यातायात नियमों का पालन किए वाहन चलाए जा रहे हैं। इसलिए सड़क हादसों की संख्या ज्यादा है। हादसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। देश में हर साल औसतन 1 लाख 47 हजार 913 लोगों की मौत होती है। कई बार एक छोटी सी गलती से जान का नुकसान हो जाता है। इसमें हेलमेट नहीं पहनने से हादसों की संख्या ज्यादा है।
कई लोग बाइक चलाते समय हेलमेट पहनने से बचते हैं। लेकिन राघवेंद्र तिवारी जो फ्री में हेलमेट देते है। कुछ साल पहले उसके दोस्त की सड़क हादसे में मौत हो गई थी क्योंकि उसने हेलमेट नहीं पहना था। उस समय उन्होंने ठान लिया कि ऐसा वक्त किसी पर न आए और हेलमेट बांटना शुरू कर दिया।
“यमराज ने मुझे बचाने के लिए भेजा है…
राघवेंद्र का हाल ही में आया वीडियो चर्चा में है। इसमें वह हेलमेट पहनकर कार चलाते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को खुद राघवेंद्र ने ट्विटर पर शेयर किया है। इस वीडियो में शख्स बिना हेलमेट पहने तेज रफ्तार में गाड़ी चला रहा है। वीडियो में राघवेंद्र ने हेलमेट पहनने पर बाइक सवार को एक्सप्रेस-वे पर रोक लिया।
उन्होंने इस व्यक्ति को बताया कि वे लंबे समय से उसका पीछा कर रहे हैं। इसके बाद वे बाइक सवार को हेलमेट देते हैं और उसे पहनकर सवारी करने को कहते हैं। वीडियो में राघवेंद्र कहते हैं, ‘मेरी गाड़ी के पीछे एक मैसेज लिखा है। ‘यमराज ने भेजा है बचाने के लिए…ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए’ इस समय राजवेंद्र युवक ने उपहार के रूप में एक हेलमेट दिया ।
पुरानी किताबों के बदले मुफ्त हेलमेट
बिहार के कैमूर के बगढ़ी गांव में रहने वाले राघवेंद्र तिवारी सभी को हेलमेट के महत्व के बारे में बताते रहे हैं। इसलिए लोग उन्हें हेलमेट मैन भी कहते हैं। 2009 में राघवेंद्र शिक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के बनारस पहुंचे। उस समय उनके कई मित्र बन गए, उनमें से एक कृष्ण थे, जो अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे।
लेकिन एक दिन बिना हेलमेट के ग्रेटर नोएडा-वे पर हुए एक हादसे में उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद राघवेंद्र के लिए दुख से बाहर आना मुश्किल हो गया था। उस वक्त उन्होंने फैसला किया कि जो उनके दोस्त और दोस्त के परिवार के साथ हुआ वो किसी के साथ न हो और हेलमेट बांटने लगे।
राघवेंद्र तिवारी पुरानी किताबों के बदले लोगों को फ्री हेलमेट देते हैं। पहले वह लोगों में जागरुकता पैदा करना चाहते हैं और दूसरा गरीब बच्चों को पुरानी किताबें देकर उनकी जिंदगी बदलना चाहते हैं। राघवेंद्र तिवारी का अब तक का सफर संघर्षपूर्ण रहा है। पहले उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी, फिर उन्होंने अपना घर और अपनी पत्नी के गहने बेच दिए क्योंकि उनके पास हेलमेट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।
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