इतिहास की कुछ घटनाएँ गौरवपूर्ण होती हैं तो कुछ हृदयविदारक। इसलिए इतिहास की कुछ घटनाएँ भारतीयों के मन-मस्तिष्क पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती हैं। भारतीय उन घटनाओं को कभी नहीं भूल सकते। आज भी इस घटना को याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 27 फरवरी एक दिल दहला देने वाला दिन था।
अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस अभी गोधरा स्टेशन से निकली ही थी कि किसी ने ट्रेन को रोकने के लिए जंजीर खींच दी और फिर पत्थर फेंके और ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी।
27 फरवरी का दिन इतिहास में एक दुखद घटना के रूप में दर्ज है। 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन से प्रस्थान करने वाली साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे।
ट्रेन में मरने वाले लोग हिंदू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना के बाद गुजरात में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी और जान-माल का भारी नुकसान हुआ। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लोगों से शांति की अपील करनी पड़ी। 27 फरवरी की त्रासदी देश और दुनिया के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई।
साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगाने के मामले में विशेष एसआईटी अदालत ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था और 63 लोगों को बरी कर दिया था। 11 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 22 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
कोर्ट के इस फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। गुजरात सरकार ने मांग की थी कि आरोपियों को दी जाने वाली सजा कम हो, जो बरी हो गए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
गुजरात सरकार ने इस घटना की जांच के लिए नानावटी आयोग का गठन किया। आयोग ने कहा था कि साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में लगी आग कोई घटना नहीं बल्कि एक साजिश थी।
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