गुजरात के IPS से 8 करोड़ वसूलने की थी साजिश, भाजपा नेता और दो पत्रकारों समेत 5 गिरफ्तार

गुजरात एटीएस ने एक महिला से गलत एफिडेविट दाखिल कर एक रिटायर्ड IPS अधिकारी को बदनाम करने की साजिश रचने के आरोप में आज पांच लोगों को गिरफ्तार किया। जिसमें गुजरात बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के नेता भी शामिल हैं। गुजरात एटीएस ने इस पूरे मामले में आईपीएस अधिकारी को बदनाम करने की साजिश के तहत गांधीनगर के दो स्थानीय पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने फर्जी हलफनामों के जरिए IPS अधिकारी को बदनाम करने के लिए अखबारों और सोशल मीडिया में खबर वायरल किया था। और आठ करोड़ रुपये की मांग की थी।
गुजरात ATS के SP सुनील जोशी का कहना है कि यह पूरी साजिश आईपीएस अधिकारी से 8 करोड़ रुपये मांगने के लिए रची गई थी। दबाव में गांधीनगर के पेठापुर थाने में एक रेप पीड़िता के नाम से हलफनामा बनवाया गया। जिसमें दो पुलिस अधिकारियों ने दुष्कर्म का झूठा हलफनामा बनवाया। हलफनामे में एक उच्च पुलिस अधिकारी के नाम का गलत उल्लेख किया गया था।
और मीडिया के सामने वही गलत एफिडेविट देकर अधिकारी को बदनाम करने की धमकी देकर पैसे की वसूली करने का प्लान था। गुजरात एटीएस के जरिए जब महीला से पुछताज की गयी तो पाया की, जो ऐफिडेविट किया गया हे, उसी महिला का जब स्टेटमेन्ट लिया गया तो पता चला की महिला ने बलात्कार का मामला दर्ज करवाया हे, लेकिन पुलिस अधिकारीओं के खिलाफ नहीं। जो की गांधीनगर के पेथापूर पुलिस थाने  में हे। 
SP ATS सुनील जोशी का कहना है कि महिला पहले गांधीनगर जीके प्रजापति नाम के व्यक्ति के संपर्क में आई थी। फिर उसके बाद वह इस्माइल नाम के शख्स के साथ चांदखेड़ा कालिका मंदिर के पास स्थित संगत बंगला चली गई।
जोशी ने बताया कि यह शिकायत दर्ज कराने से पहले महिला गांधीनगर में जीके प्रजापति उर्फ ​​जीके दादा नाम के व्यक्ति के संपर्क में आई थी। महिला ने जीके प्रजापति को बताया कि शिकायत में आरोपी इस्माइल मालेक एक दिन उसे चांदखेड़ा कालिका मंदिर के पास बंगला नंबर 13 और 14 में ले गया था।
बंगले में रहने वाले व्यक्ति की उम्र 45 वर्ष थी और वह अहमदाबाद का एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी था। कहा गया कि यह बंगला साहिब का है। अपने भाई से पीछा छुड़ाने के लिए उस व्यक्ति ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ दो बार शारीरिक संबंध बनाए और जीके प्रजापति ने शिकायत में मामला लिखने से मना कर दिया और कहा कि हम इस पर बाद में विचार करेंगे। 
इस आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए हरेश जादव और महेंद्रसिंह परमार उर्फ ​​राजू ने बार-बार अपने अधीनस्थों और अन्य अधिकारियों से संपर्क किया जो उपरोक्त हलफनामे में उल्लिखित उच्च पुलिस अधिकारी से संपर्क करने के लिए उन पुलिस कार्यालयों में गए थे। वरिष्ठ अधिकारी को दुष्कर्म के अपराध में फंसाने की धमकी देकर अधिकारी से रंगदारी वसूलने का दबाव बनाया।
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