India Canada Row : पिछले कुछ दिनों से भारत और कनाडा के बीच बढ़ता हुआ तनाव साफ नजर आ रहा है। साल 1947 से भारत और कनाडा के बीच दोस्ती के रिश्ते है। ऐसे में भारत और कनाडा के बीच की दोस्ती 76 साल पुरानी है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कनाडा सरकार खालिस्तानियों को संरक्षण दे रही हो। इससे पहले कई बार ऐसा हुआ है कि कनाडा सरकार खालिस्तानियों का बचाव करती हुई नजर आई है।
1984 में खालिस्तान की मांग करने वाले आतंकवादियों ने एयर इंडिया की फ्लाइट को बम धमाके से उड़ा दिया था। इसकी वजह से भी दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का दौर आया था। उस समय की कनाडा की सरकार भी खालिस्तानी आतंकवादियों को संरक्षण दे रही थी। 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में सुधार आया था। आइए जानते है कि अगर कनाडा भारत से अपने दोस्ती के रिश्ते को खत्म कर लेता है तो उसे क्या-क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
कनाडा क्यों देता है खालिस्तानियों को संरक्षण
साल 2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 14 लाख लोग रह रहे हैं। जो कनाडा की आबादी का 3.7 प्रति हिस्सा है। इसके साथ ही इसमें लगभग 7 लाख आबादी सिखों की है। ऐसे में यदि कनाडा सरकार सत्ता में बनें रहने के लिए खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण देती हुई नजर आती है। कनाडा की सरकार इसके लिए भारत के साथ रिश्तों (India Canada Row) को भी दांव पर लगा रही है।
कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है असर
आव्रजन शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) के आकड़ो के अनुसार 2022 में कुल 3,19,000 भारतीय वैध स्टडी वीजा के साथ रह रहे थे। 2022 में कनाडा में कुल 5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र आए, इसमें 2,26,450 छात्र भारत से थे। यानी कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीयों हिस्सेदारी लगभग 41 प्रतिशत थी।
अगर कनाडा और भारत के रिश्ते खराब होते हैं और सरकार भारतीय छात्रों के कनाडा जाने पर रोक लगा देती है तो इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में हर वर्ष 30 अरब डॉलर लेकर आते हैं । जाहिर है इसमें काफी बड़ा योगदान भारतीय छात्रों का है।
8.16 अरब डॉलर पहुंचा कारोबार
भारत कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है और 2022-23 में ये 8.16 अरब डालर तक पहुंच गया है। कनाडा के लिए भारत का निर्यात 4.1 अरब डालर है जबकि भारत के लिए कनाडा का निर्यात 4.06 अरब डॉलर है। कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में 45 अरब डालर निवेश किया है।
ये है कनाडा की अर्थव्यवस्था
2 .2 ट्रिलियन डालर की जीडीपी के साथ कनाडा दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और निर्यात का है। कनाडा अमेरिका, भारत जैसे बड़े देशों को जरूरी चीजे निर्यात करता है।
टोरंटों से कनिष्क की उड़ान और बम धमाका
1984 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 ने कनाडा के टोरंटों से मुंबई के लिए उड़ान भरी। ये एक बोइंग 747 जहाज था। इसका नाम कुषाण वंश के शासक ‘सम्राट कनिष्क’ के नाम पर रखा गया था। ये फ्लाइट मुंबई कभी नहीं पहुंची क्योंकि बम धमाके में सभी 329 यात्री मारे गए। भारत में अलग खालिस्तान की मांग करने वाले सिख आतंकवादियों ने इस बम धमाके को अंजाम दिया था।
कृपाल आयोग ने अपनी जांच में बताया था कि ये बम धमाका था। बाद में केंद्रीय अन्वेशण ब्यूरो ने अपनी जांच में पाया था कि आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल इस धमाके के लिए जिम्मेदार है।
धमाके के मास्टरमाइंड को कनाडा का संरक्षण
कनाडा में इस धमाके की जांच बहुत सुस्त रही और दशकों बाद सिर्फ एक व्यक्ति इंदरजीत सिंह रेवत को इसके लिए दोषी ठहराया गया। मौजूदा समय में जिस तरह से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो खालिस्तानियों (India Canada Row) को संरक्षण दे रहे हैं, उसी तरह से उनके पिता पियरे टूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार को 1982 में भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया था । परमार को ही कनिष्क बम कांड का मास्टरमाइंड माना जाता है। पियरे ट्रूडो उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री थे।
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