What is cause of Israel philistine War reason behind Israel hamas conflict

Israel-philistine War: इजरायल, फिलिस्तीन और हमास के बीच दशकों से चल रही है जंग, जानें क्या है वजह…

Israel-philistine War: 7 अक्टूबर को जब हमास के आतंकियो ने इजरायल पर हमला किया तो उसके कुछ ही समय बाद पूरी दुनिया में ये चर्चा का विषय बन गया है। सभी लोग इस हमले पर अपनी राय दे रहे है। कुछ फिलिस्तीन के समर्थन में दिख रहे है और कुछ इजरायल के और कुछ लोगों को अभी भी ये समझ नहीं आ रहा है कि ये मामला आखिर है क्या…? आपको बता दें कि इन दोनों देशों के बीच कोई पहली बार जंग नहीं हो रही है। इस मुद्दे को समझने के लिए हमें समय में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा तो चलिए समझते है कि आखिर क्यों ये दोनों देश एक दूसरे के जानी दुश्मन बनें हुए है।

साल 1948 में बना इजरायल

बात साल 1948 की है और इस समय इजरायल (Israel-philistine War) का गठन हुआ। देखा जाए तो इस हमले में तीन प्रमुख है जिसमें इजरायल, फिलिस्तीन और हमास है। इजरायल के बनने के बाद से ही अरब देशों की इजरायल से नहीं बनती थी। चाहे फिर वो सीमा को लेकर विवाद हो या फिर धार्मिक विवाद। यही कारण है कि यूनाइटेड नेशन की टू स्टेट पॉलिसी भी यहां कभी लागू न हो सकी। संयु्क्त राष्ट्र ने यहां टू स्टेट पॉलिसी इस प्रावधान के साथ लागू करना चाहती थी कि फिलिस्तीनियों के फिलिस्तीन और यहूदियों के लिए इजरायल रहेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

समय-समय पर मजबूत होता गया इजरायल

इतिहास गवाह है कि जब-जब इजरायल पर हमला हुआ है तो हमलावर को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। अगर बात करें साल 1967 का 6 दिन का युद्ध हो या फिर 1973 का अरब-इजरायल युद्ध। इजरायल ने हर बार अपने प्रतिद्वंधी को मुंहतोड़ जवाब दिया है और भागौलिक तौर पर अपनी सीमा बढ़ाता चला गया। इसके साथ ही इजरायल समय-समय पर मजबूत भी होता चला गया। यहीं कारण है कि इस आधुनिक युग में इजरायल इतना छोटा देश होने के बावजूद भी सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है।

1987 में हमास का हुआ गठन

साल 1990 के दशक आते-आते इजरायल और फिलिस्तीन (Israel-philistine War) आपस में बातचीत से ये मामला सुलझाना चाहते थे। इस बातचीत के दौरान लगभग कई मुद्दे सुलझने भी लगे थे। फिर 1987 में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हमास नाम के एक संगठन की शुरुआत की। हमास शब्द का अगर अंग्रेजी में मतलब निकले तो इसका मतबल इस्लामिक रजिस्टेंश मूवमेंट होता है।

फिलिस्तीन को इस्लामिक स्टेट बनाना था मकसद

हमास आतंकी संगठना हमेशा से चाहता था कि वह फिलिस्तीन को इजरायल से आजाद कराए और फिलिस्तीन को इस्लामिक स्टेट बनाएं। यही कारण है कि हमास धीरे-धीरे फिलीस्तीन में अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा था। इस दौरान बातचीत के जरिए फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संबध साधारण होते जा रहे थे। साल 1995 में इजरायल ने फिलिस्तीनियों को जमीने भी लौटाना शुरू कर दिया था।

ओस्लो समझौते के तहत हुआ विभाजन

ओस्लो समझौते के तहत गाजा स्ट्रिप को तीन जोन में विभाजित किया गया। जोन ए के क्षेत्रों का फिलिस्तीन को निंयत्रण दिया गया। जोन बी के क्षेत्रों में प्रशासन का नियंत्रण फिलिस्तीन के पास और सुरक्षा का नियंत्रण इजरायल के पास था और जीन सी के क्षेत्रों का इजरायल को नियंत्रण दिया गया।

लगभग खत्म हो चुका था विवाद

1995 में हुए ओस्लो-2 समझौते के बाद जो वेस्टबैंक से फिलिस्तीन के हिस्से में कई प्रमुख शहर आए जिसमें हेब्रों, यत्ता, बेतलहम, रमल्ला, कल्कइलियाह, तुलकार्म, जैनीन, नाबुलुस थे। इसके अलावा गाजा पट्टी के शहर भी फिलिस्तीन को मिले. जिसमें रफाह, खान यूनुस, डायरल, अलबलह, जबलियाह, अन नजलाह शामिल हैं। इन समझौतों के बाद दुनिया को ये लगने लगा था कि दोनों देशों के बीच अब विवाद खत्म हो जाएगा लेकिन दोनों देशों के कट्टपथियों को यह समझौता मंजूर नहीं था।

त्योहार की खुशियां बदली मातम में

साल 1994 में यहूदियों का त्योहार पुरिम और मुसलमानों का त्योहार रमदान एक ही दिन पड़ गया। इस दौरान एक यहूदी कट्टपंथी ने मुसलमानों की भीड़ पर हमला कर दिया। इसके बदले में हमास के आतंकियों ने भी बम धमाके शुरू कर दिए। इन हमलों के बाद भी दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर शुरु था।

प्रधानमंत्री की कर दी गई हत्या

4 नवंबर 1995 को दोनों देशों के बीच शांतिप्रयासों पर पूरी तरह से पूर्णविराम लग गया। जब एक कट्टरपंथी यहूदी ने प्रधानमंत्री यिजक रॉबिन की हत्या कर दी। फिर साल 1996 में बेंजामिन नेतन्याहू पहली बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने। नेतान्याहू ने सख्त रुख अपनाते हुए सिक्योरिटी विद पीस का नारा दिया और ओस्लो समझौते को मानने से इनकार कर दिया।

हमास ने फिलिस्तीन में जमाया कब्जा

हमास ने हमले करने के बाद मुस्लिम भाइचारें के नाम पर फिलिस्तीन (Israel-philistine War) पर अपना कब्जा जताना शुरू कर दिया और राजनीति में दखल अंदाजी करनी शुरु कर दी। मुस्लिम भाईचारे के नाम पर हमास के आतंकियों ने फंड लेना भी शुरू कर दिया। आत्मघाती हमलों से शुरू हुआ हमास का आतंकी सफर अब रॉकेट अटैक तक पहुंच गया है। आए दिन हमास के आतंकी इजरायल पर हमला करते रहते हैं।

इस सदी का सबसे बड़ा हमला

हमास ने जो राकेट इजरायल पर दागे है वह इस सदी का सबसे बड़ा हमला है। अलजजीरा टेलिवजन के एक कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इजरायल पर ये हमला मुस्लिम देशों को संदेश है कि वो इजरायल से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास छोड़ दे।

मामला थोड़ा मजहबी है

आपको बता दें कि वेस्टबैंक में कई ऐसे मजहबी क्षेत्र है जिस पर यहूदी और मुस्लिम दोनों अपना दावा करते है। ऐसे कई क्षेत्रों पर इजरायल का शासन है। यही कारण है कि हमास इन क्षेत्रों को इजरायल से छीनकर इस्लामिक बनाना चाहते है। इसलिए हमास जैसे आंतकी संगठन को फंडिग और लोगों का समर्थन भी मिलता है। संगठन कोई भी हो युवाओं को मजहब के नाम पर बरगलाना आंतक को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

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