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DeepFake: डीपफेक के खिलाफ जल्द नया नियम ला सकती है सरकार, टेक कंपनियों के साथ की बैठक

DeepFake: टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन आगे बढ़ती जा रही है। फिर डीपफेक शब्द हाल ही में काफी चर्चा में रहा है. जिसकी मदद से किसी भी चेहरे को बदल कर अलग एंगल से पेश किया जा सकता है। हालांकि, अब सरकार इस मामले में एक्शन मोड में नजर आ रही है. जानकारी के मुताबिक, डीपफेक मामले में केंद्र सरकार 10 दिन में नियम बनाएगी. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने संकेत दिया है कि सरकार डीपफेक वीडियो के मामले में नया नियम या कानून बना सकती है.

डीप फेक समाज के लिए हानिकारक : अश्विनी वैष्णव

डीपफेक (DeepFake) को लेकर केंद्र सरकार ने चिंता जताई है. इस बीच केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में इस संबंध में एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में एआई कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार जल्द ही डीपफेकिंग पर कानून बनाएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डीपफेक (DeepFake) लोकतांत्रिक देशों के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है। इसके लिए कंपनियां और निर्माता दोनों समान रूप से जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में चार मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें डीपफेक का पता कैसे लगाया जाए? क्या ऐसे कंटेंट को वायरल होने से रोका जा सकता है? एक निगरानी प्रणाली स्थापित करने की भी बात चल रही है ताकि प्लेटफॉर्म और अधिकारियों को डीपफेक के प्रति सचेत किया जा सके और कार्रवाई की जा सके।

सरकार नए नियम या नया कानून बना सकती है

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, “हम आज विनियमन का मसौदा तैयार करना शुरू करेंगे और डीपफेक से निपटने के लिए हमारे पास नए नियम होंगे।” यह या तो मौजूदा ढांचे में संशोधन करेगा या नए नियम या नया कानून लाएगा। वैष्णव ने कहा, ”हमारी अगली बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी. आज लिए गए निर्णयों पर आगे चर्चा की जाएगी।” “मसौदा विनियमन में क्या शामिल किया जाना चाहिए, इस पर भी चर्चा की जाएगी।” डीपफेक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल करके किसी फोटो या वीडियो को किसी और से बदल दिया जाता है। इनमें इतनी समानताएं हैं कि असली-नकली में फर्क करना बहुत मुश्किल है। हाल ही में, विभिन्न बॉलीवुड अभिनेताओं को निशाना बनाने वाले कई ‘डीपफेक’ वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आए हैं। इसे लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई. इससे नकली सामग्री बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और उपकरणों के दुरुपयोग के बारे में भी कई सवाल खड़े हो गए हैं।

डीपफेक ने सरकार का दम घोंट दिया

आपने पिछले कुछ दिनों से फेस स्वैपिंग वीडियो जरूर देखे होंगे. यह एक ऐसी तकनीक है जिसने हाल ही में सरकार की भी नाक में दम कर दिया है। जी हां, इस तकनीक की वजह से किसी भी व्यक्ति के चेहरे की जगह किसी और का चेहरा लगाया जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि डीपफेक की मदद से अगर किसी व्यक्ति का चेहरा बदल दिया जाता है तो वह व्यक्ति भी इसे देखकर अपना सिर खुजलाने लगता है। क्योंकि यह बिल्कुल असली लगता है. अब सूत्र बता रहे हैं कि सरकार इस तरह की टेक्नोलॉजी पर लगाम लगाने के लिए नए नियम और कानून बनाने की सोच रही है.

पीएम मोदी ने भी जताई चिंता

बता दें कि डीपफेक (DeepFake) मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जताई थी. कुछ दिन पहले पीएम मोदी का गरबा खेलते हुए एक वीडियो वायरल हुआ था. जबकि उन्होंने कभी गरबा नहीं खेला. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कल हुई जी-20 की वर्चुअल बैठक में भी इसका जिक्र हुआ. उन्होंने गंभीरता दिखाते हुए कहा कि इस तरह की बात खतरनाक हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में एआई के नकारात्मक उपयोग को लेकर चिंता बढ़ रही है। भारत का इस मामले पर स्पष्ट रुख है कि हमें इसके वैश्विक नियमन पर मिलकर काम करना चाहिए. डीपफेक समाज और व्यक्ति के लिए खतरनाक हैं। पीएम ने कहा कि अगले महीने इंडिया ग्लोबल एआई पार्टनरशिप का आयोजन हो रहा है जिसमें आपका सहयोग भी अपेक्षित है.

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