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UNESCO : गुजरात के गरबा को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, विश्व धरोहर में मिली जगह…

UNESCO Garba of Gujarat got world recognition CM Bhupendra patel Tweet
UNESCO Garba of Gujarat got world recognition CM Bhupendra patel Tweet

UNESCO :  गुजरात के लिए एक गौरवान्वित करने वाली खबर आ रही है। जी हां आज बुधवार को गुजरात के गरबा को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई। गुजरात का गरबा अब देश की सीमाओं को पार कर वैश्विक स्तर पर गौरव हासिल कर चुका है। राज्य के प्रसिद्ध पारंपरिक लोक नृत्य गरबा को यूनेस्को (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) सूची में शामिल किया गया है।

गरबा मुख्य रूप से गुजरात का एक बहुत लोकप्रिय धार्मिक लोक नृत्य त्योहार है। गरबा असो माह के शुक्ल पक्ष की एकम से लेकर नोम तक तिथियों के दौरान गाया जाता है। इन रात्रियों को नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस नृत्य के माध्यम से देवी अम्बा, महाकाली, चामुंडा आदि की पूजा की जाती है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। देश की सरहदों के पार भी आपको गरबा की गूंज सुनाई देगी। अब गुजरात का गरबा दुनिया की सांस्कृतिक विरासत बनने जा रहा है।

उन्हें यह उपलब्धि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन से मिली है। गरबा को विश्व धरोहर के रूप में जो स्थान मिलेगा, वह यूनेस्को द्वारा गुजरात के लिए एक बड़ी उपलब्धि की तरह है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह उपलब्धि उसी का परिणाम है।

पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने ट्वीट कर दी जानकारी

पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने ट्विटर पर यह जानकारी दी। यह ICH सूची में शामिल होने वाला भारत का 15वां तत्व है। यह घोषणा गुजरात सहित देश के करोड़ों लोगों के लिए गौरव का अवसर है। इस साल गरबा को नॉमिनेट किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 29 जिलों के साथ ही चार प्रतिष्ठित स्थानों पर गरबा के साथ विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। यह घोषणा गुजरात सहित देश के करोड़ों लोगों के लिए गर्व का अवसर होगी। इस साल की शुरुआत में बंगाल की दुर्गा पूजा को भी सूची में शामिल किया गया है। भारत का योग, वैदिक मंत्रोच्चार, लद्दाख में बौद्ध मंत्रोच्चार, छाऊ नृत्य, रामलीला, नवरोज़, कुंभ मेला और अन्य भी यूनेस्को की आईसीएच सूची में शामिल हैं।

जानिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने क्या कहा

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने ट्विटर पर लिखा- ‘मां आद्यशक्ति की भावपूर्ण भक्ति का प्रतीक गरबा की सदियों पुरानी परंपरा आज भी जीवित और पुष्पित्वित है। गुजरात की पहचान सामा गरबा को @UNESCO (UNESCO) द्वारा ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में चुना गया है। यह दुनिया भर में रहने वाले गुजरातियों के लिए गर्व का क्षण है। यह माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में देश की विरासत को दिए गए महत्व और इसे दुनिया के सामने उजागर करने के प्रयासों का सुखद परिणाम है। गुजरात के लोगों को बधाई।’

मां आद्यशक्ति के प्रति भावुक भक्ति का प्रतीक सामा गरबा की सदियों पुरानी परंपरा आधुनिक समय में भी जीवित और फल-फूल रही है। गुजरात की पहचान सामा गरबा को @UNESCO द्वारा ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में चुना गया है।

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