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Shakuni Mama Mandir: इस मंदिर में होती है मामा शकुनि की पूजा, जानिए इस मंदिर के बनने की पीछे की वजह

Shakuni Mama Mandir

Shakuni Mama Mandir: भारत में अनेकों मंदिर है जो अपनी खासियत और अपनी बनावट के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारत में कुल 33 ​कोटि देवी देवताओं की पूजा की जाती है। यहां देवी देवताओं के अलावा राक्षसों की पूजा भी की जाती है। हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है जहां पर रावण की पूजा की जाती है। जिसके बारे में शायद आपने भी कभी ना कभी तो सुना ही होगा। लेकिन आज हम आपको महाभारत  के मामा शकुनि के मंदिर के बारे में बताने जा रहे है।​ जिसके बारे में काफी कम लोग ही जानते है। महाभारत युद्ध की रचना करने वाले मामा शकुनि का मंदिर भारत के दक्षिण में स्थित है। आइए जानते है इस मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में:—

मामा शकुनि की पूजा

केरल के कोल्लम में स्थि​त इस मंदिर में दुर्योधन के मामा शकुनि की विधिवत रूप से पूजा की जाती है। इस मंदिर का नाम मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड है। माना जाता है कि विधि विधान से शकुनि की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है। इस मंदिर में रोजाना हजारों लोग दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर में एक जगह ऐसी भी है जिसे पवित्रेश्‍वरम के नाम से जाना जाता है।

क्या है इस मंदिर के पीछे की कहानी

ऐसा कहा जाता है कि जब महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद मामा शकुनि को प्रायश्चित हुआ। युद्ध के अंत में दुर्योधन की भी मृत्‍यु हो गई। इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि इस युद्ध की वजह से हजारों लोग मारे गए और पूरे साम्राज्य की भी अपूर्ण नुकसान पहुंचा है। इस पश्चाताप शकुनि ने अपने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया और संन्यास का जीवन को अपना लिया। केरल राज्य के कोल्लम में अपने शोकाकुल मन को एकाग्रचित करने के लिए भगवान ​शिव की कठिन तपस्या शुरू कर दी। उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनके जीवन को कृतार्थ किया और इसी जगह पर अब मामा शकुनि का मंदिर है जिसे मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड के नाम से जाना जाता है।

पवित्रेश्‍वरम नाम से है मशहूर

कहा जाता है कि जिस पत्थर पर बैठकर मामा शकुनि ने घारे तपस्या की थी। उस पत्थर की भी पूजा की जाती है। यह स्थान पवित्रेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में मामा शकुनि के अलावा नागराज और किरातमूर्ति की भी पूजा की जाती है। वहीं हर साल यहां पर मलक्कुडा महोलसवम उत्सव का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों की तादात में लोग शामिल होते है। स्थानीय लोगों का मानना है इस मंदिर में व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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