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Hooker’s Lips: इंसान के होठों की तरह दिखता है ये दुर्लभ पौधा

Hooker's Lips

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Hooker’s Lips: हमारी दुनिया में कई तरह के पेड़-पौधे मौजूद है जो अपनी बनावट और खुशबू के लिए प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसे ही दुर्लभ पौधे के बारे में बताने जा रहे है जो दिखने में किसी महिला के लाल होठों (Hooker’s Lips) सा प्रतीत होता है। साइकोट्रिया  इलाटा (sychotria elata) के नाम से प्रसिद्ध इस पौधे को आमतौर पर ‘हुकर्स लिप्स’ या ​‘हॉट लिप्स’ प्लांट के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा इक्वाडोर, कोस्टा रिका व मध्य और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पौधे के करीबन दो हजार से ज्यादा प्रजातियां है जो अपनी अजीबों गरीब बनावट के लिए खास मानें जाते है।

पत्तियां है आकर्षण केंद्र

साइकोट्रिया इलाटा (sychotria elata) पौधे में लाल रंग की दो पत्तियां होती है जो देखने में लगता है कि यह किसी महिला के होंठ हो। इन पत्तियों को ब्रैक्ट्स कहा जाता है। होठों की आकृति की इन पत्तियों के बीच में सफेद रंग के छोटे—छोटे फूल निकलते है तो बेहद खूबसूरत और खुशबूदार होते है। वहीं इस पौधे के पत्ते लंबे होते है। ये फूल आमतौर पर दिसंबर से मार्च के बीच में ही निकलते है। इन पौधों को उगाना काफी मुश्किल होता है। हालांकि जंगलो की कटाई और जलवायु परिवर्तन की वजह से यह पौधे धीरे धीरे लुप्त हो रहे है।

Hooker's Lips

औषधीय गुणों से भरपूर

साइकोट्रिया इलाटा (sychotria elata) पौधा सिर्फ अपनी बनावट और खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि अपनी औषधीय गुणों के लिए भी काफी मशहूर है। बता दें कि इस पौधें की पत्तियों में एक साइकेडेलिक रसायन ‘डाइमिथाइलट्रिप्टामाइन’ पाया जाता है। जिसका उपयोग दर्द, गठिया, नपुंसकता, बांझपन,  खांसी और त्वचा संबंधी कई तरह की बिमारियों में इलाज में दवा के रूप में किया जाता है, जो पारंपरिक तौर से बनाया जाता है।

वैलेंटाइन डे पर रहती है डिमांड

लोग हुकर्स लिप्स प्लांट का उपयोग अपने प्यार का इजहार करने के लिए भी करते है। खासकर वैलेंटाइन डे पर इस पौधें की डिमांड काफी रहती है। लेकिन माना जा रहा है कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी शायद ही पौधें को कभी देख पाएं। क्योंकि यह पौधा एक विशेष वातावरण में उगता है। जिसके लिए उपजाऊ मिट्टी,सूर्य की किरणें और बारिश की जरूरत होती है। इसी वजह से यह पौधा वर्षावनों में पाए जाते है। इन्हें सामान्य तौर पर उगाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन जंगलों की कटाई और जल-वायु परिवर्तन के कारण यह पौधे धीरे धीरे खत्म हो रहे है। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि समय रहते इस दुर्लभ पौधे के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो शायद आने वाली पीढ़ी यह पौधा नहीं देख पाएगी।

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