Makar Sankranti 2024

Makar Sankranti 2024: क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। यह त्यौहार(Makar Sankranti 2024) सूर्य देव को स​मर्पित होता है और इस दिन सूर्य भगवान की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस साल मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। यह त्यौहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्यौहार वसंत ऋतु के आरंभ और नई फसलों की कटाई का भी प्रतीक माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है। दरअसल इसके पीछे कई सारी मान्यताएं जो आज ​हम आपके  साथ साझा कर रहे है। तो  आइए जानते है  मकर संक्रांति से  जुड़ी कुछ बातों के बारे  में :—

क्या है मान्यताएं

पूरे भारत में मकर संक्रांति का पर्व अलग अलग तरह से मनाया जाता है। जहां एक तरफ मकर संक्रांति को लेकर वैज्ञानिक महत्व भी है तो वहीं इसके पीछे कई मान्यताएं भी है। हिंदू ग्रंथों में कई ऐसी पौराणिक कथा है जिसमें इस पर्व को मनाने के पीछे का कारण बताया गया है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन धरती पर गंगा नदी का अवतरण हुआ था और यही वजह है कि इस दिन गंगा में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है।

 

Makar Sankranti 2024
नकारात्मकता का अंत

माना जाता है कि मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2024) के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत किया था और युद्ध की समाप्ति की घोषणा की थी। इसके बाद ​भगवान विष्णु ने मंदार पर्वत के नीचे सभी असुरों के​ सिर को दबा दिया था। इसलिए मकर संक्रांति का दिन बुराई और नकारात्मकता के अंत के रूप में मनाया जाता है। वहीं मकर संक्रांति को लेकर एक और मान्यता है कि माता यशोदा ने कृष्ण जन्म के लिए उपवास रखा था। तब सूर्य भगवान उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति का दिन था। कहा जाता है कि उसी दिन से मकर संक्रांति के दिन व्रत रखने का चलन शुरू हो गया था।

जब गंगा सागर से जाकर मिली

मकर संक्रांति को लेकर दूसरी मान्यता यह है कि मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2024) के ​ही दिन गंगा भागीरथ के पीछे होते हुए कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची और वहां से होती हुई सागर से जा मिली। माना जाता है कि भागीरथ ही गंगा को धरती पर लेकर आए थे और इस दिन उन्होंने अपने पूर्वजों के लिए कुछ खास पूजा की थी और उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद ही गंगा सागर में जाकर मिल गई। तभी से मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में मेला लगता है।

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