राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Pongal 2024: भारत में एक ही समय में कई सारे त्यौहार (Pongal 2024) मनाए जाते है। हर त्यौहार को मनाने की अपनी एक मान्यता और अलग-अलग पंरपरा होती है। इसी में एक त्यौहार है पोंगल। दक्षिण भारत में प्रसिद्ध त्यौहारों में पोंगल त्यौहार का अलग ही विशेष महत्व है। जिस समय उत्तर भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है तो उसी समय दक्षिण भारत में पोंगल त्यौहार मनाया जाता है। पोंगल का त्यौहार 4 दिनों तक मनाया जाता है और इस साल यह त्यौहार देश भर में 15 जनवरी को मनाया जाएगा। पोंगल का त्यौहार भगवान सूर्य देव को समर्पित होता है। तो आइए जानते है पोंगल त्यौहार से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में:—
नए साल का प्रतीक है पोंगल
पोंगल मुख्य रुप से तमिलनाडु,कर्नाटक,केरल और कर्नाटक में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल पोंगल (Pongal 2024) का त्यौहार 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा जो अगले 4 दिन तक चलेगा। इन 4 दिनों को अलग अलग नाम से जाना है जैसे पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन माट्टु पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहा जाता है और चारों दिन में अलग अलग परंपराएं निभाई जाती है। वहीं तमिलनाडु में पोंगल को नए वर्ष के शुभारंभ के रूप में मनाया जाता है।
पोंगल का महत्व
पोंगल तमिलनाडु में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करते है तब नए साल की शुरूआत होती है। जनवरी के महीने में तमिलनाडु में गन्ने और धान की फसल तैयार हो जाती है और किसान इसी खुशी में पोंगल के द्वारा भगवान को शुक्रिया अदा करते है। इसी वजह से पोंगल (Pongal 2024) में इंद्रदेव,सूर्यदेव और पशुधन की पूजा की जाती है। पोंगल के पहले दिन जिसे भोगी पोंगल कहा जाता है इस दिन भगवान देवराज इंद्र की पूजा की जाती है। पूजा के द्वारा आने वाले समय में अच्छी फसल, उपज और बारिश की कामना की जाती है। वहीं दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है और तीसरे दिन जानवरों की और चौथे दिन घर को फूलों से सजाया जाता है। मान्यता है कि पोंगल में दिनों में लोग बुरी आदतों को छोड़ अच्छी आदतों को अपनाते है।
कैसें मनाया जाता है पोंगल त्यौहार
पोंगल का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। इस दौरान महिलाएं घर की साफ सफाई करती है और घर में रंगोली बनाती है। त्यौहार के चारों दिन अलग अलग तरह के व्यजंन बनाए जाते हैं। पोंगल (Pongal 2024) के पहले घर के आस पास का कचरा जलाया जाता है। दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तीसरे दिन खेती में उपयोग होने वाले मवेशियों यानी जानवरों की पूजा की जाती है और अंतिम दिन काली मां की पूजा की जाती है। पोंगल के दिनों में नए कपड़े और बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इसके अलावा इस दौरान अलग अलग जगहों पर कई तरह की प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है।
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