ED in Action: दिल्ली के मुख्यमंत्री को ईडी गिरफ्तार कैसे करेगी? ये नियम जानना जरुरी…
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। ED in Action: भारत भर में एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप नरेन्द्र मोदी की केंद्र सरकार पर बार बार लग रहा है। जिसमें ईडी यानी प्रवर्तन निदेशायल (ED in Action) का नाम भी शामिल है। परन्तु इसको लेकर असल नियम क्या है, ये जान लेना जरुरी है। ED काम (ED in Action) कैसे करती है वो समझिए।
ED के समन पर गैर हाज़िर होने पर कैद हो सकती है?
ED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कई बार समन (ED in Action) भेजा। पर अभी तक दोनों ही इस कार्यवाही से नदारद नज़र आए। परन्तु इसको लेकर नियम हैं, अरविन्द केजरीवाल ने 3 और हेमंत सोरेन ने 7 समन पर हाजिर नहीं हो कर कौनसे नियम तोड़े? अगर कोई समन जारी करने के बाद ED (ED in Action) की बताई तारीख पर हाजिर नहीं होता है तो उस पर 10 हज़ार रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा आईपीसी की धारा 174 के अंतर्गत एक महीने की जेल या 500 रूपये का जुर्माना भुगतना होगा।
समन पर पेश नहीं होने के केजरीवाल ने दिए ये कारण:
समन को लेकर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हर बार जवाब भेजे हैं। जिसमें पहले चुनाव प्रचार के लिए कहा गया, जिसमें लिखा था 5 राज्यों में चुनाव होने की वजह से पार्टी की ज़िम्मेदारी उन पर है। इसकी वजह से वो पेश होने में असमर्थ हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों का हवाला दिया। नवम्बर में भेजे समन के लिए मुख्यमंत्री ED से ही सवाल पूछते नज़र आए और कहा कि बताया जाए कि मुझे गवाही देने के लिए बुलाया जा रहा है या मुझ पर कोई व्यक्तिगत आरोप है। मैं जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हूँ। मुझसे किसी भी तरह के दस्तावेजों की मांग है तो वो भी मैं देने को तैयार हूँ।
किसी राज्य के मुख्यमंत्री के गिरफ्तारी के नियम ये हैं:
सुबूतों के आधार पर ही ऐसा किया जा सकता है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों पर सीधा शिकंजा नहीं कसा जा सकता। जब तक कोई व्यक्ति समन का लिखित जवाब दे रहा है तब तक ED के लिए भी ये आसान नहीं है। ED को कानून (ED in Action) के हिसाब से एक नया केस दायर कर कार्यवाह करनी होगी। इससे पहले, मुख्यमंत्री के खिलाफ ये भी कोर्ट को विश्वास दिलाना होगा कि जांच में सहयोग नहीं करने के उद्देश्य से अनुपस्थित हो रहे हैं। ED (ED in Action) को अधिकार समन देने का है परन्तु बिना उचित कारण बताए या पहले कोर्ट तक अपने पक्ष की बात कहे गिरफ्तारी का नहीं।
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