Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024), जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह महान सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है। यह त्योहार आम तौर पर शीतकालीन संक्रांति के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है।
इस वर्ष मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) सोमवार यानि 15 जनवरी के अमृत योग में पूरे देश में मनाया जा रहा है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान”ट्रस्ट” के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय बताते है कि धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति पुण्यकाल इस वर्ष पौष शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रातः 09:29 तक पश्चात् पंचमी तिथि सोमवार को पूरे दिन भोग करेगी। 15 जनवरी सोमवार को इस दिन शतभिषा नक्षत्र व अमृत नामक योग है।।
15 जनवरी सोमवार को प्रातः 08:42 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे अतः मकर संक्रान्ति जिसे लोग भाषा मे खिचड़ी कहते है ,पुण्यकाल 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा।
संक्रान्ति का विशेष है महत्व (Sankranti Special Importance)
मेषादि 12 राशियों में सूर्य के परिवर्तन काल को संक्रान्ति कहा जाता है,अतः किसी भी संक्रान्ति के समय स्नान,दान,जप,यज्ञ का विशेष महत्व है । पृथ्वी के मकर राशि में प्रवेश को ‘मकर संक्रान्ति ‘कहते है सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा कि ओर जाना ‘ उत्तरायण,तथा कर्क रेखा से दक्षिणी रेखा की ओर जाना” दक्षिणायन”कहते है। उत्तरायण में दिन बड़ें हो जाते है। प्रकाश बढ़ जाता है। रातें दिन कीअपेक्षा छोटी होने लगती है। दक्षिणायन में इसके ठीक विपरीत होता है ।
शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन की रात्रि है। वैदिक काल में उत्तरायण को” देवयान ” तथा दक्षिणायन को” पितृयान “कहा जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इसी मार्ग से पुण्यात्मायें शरीर छोड़कर स्वर्गादि लोकों में प्रवेश करतीं है। इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। धर्मशास्त्रों के कथनानुसार इस दिन पुण्य,दान,जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अत्यन्त महत्व है ।
ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय
इस अवसर पर किया गया दान पुनर्जन्म होने पर सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस पर्व पर तिल का विशेष महत्व है। तिल खाना,तथा तिल बाँटना इस पर्व की प्रधानता है। शीत के निवारण के लिए तिल,तेल तथा तूल का महत्व है। तिल मिश्रित जल से स्नान,तिल-उबटन,तिल-हवन,तिल-भोजन तथा तिल-दान सभी कार्य पापनाशक है इसलिए इस दिन तिल,गुड तथा चीनी मिले लड्डू खाने और दान देने का विशेष महत्व है।” मकर संक्रान्ति” से एक दिन पूर्व हिमाञ्चल , हरियाणा तथा पंजाब में यह त्योहार” लोहड़ी ” के रूप में मनाया जाता है ॥
उत्तर प्रदेश में यह मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और खिचड़ी -तिल के दान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर गंगा सागर में बहुत बड़ा मेला लगता है। मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाने से सामाजिक एकता और अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति होती है।।
मकर संक्रांति में जाने कैसा रहेगा राशियों का फल
ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है कि मकर राशि (Capricorn) पर सूर्य का प्रवेश दिनांक 15-01-2024 सोमवार को प्रातः 8:42 पर हो रहा है। उस समय कुम्भ लग्न भोग करेगी अतः कुम्भ राशि वालों के लिए यह संक्रान्ति अत्यन्त लाभकारी होगी । मकर व कुम्भ राशि वालों के रुके हुए कार्य त्वरित होने लगेंगे।
– मेष व वृश्चिक राशि (Aries and Scorpio) के लोगो को भूमि का सुख प्राप्त हो सकता है।
– वृष व तुला राशि (Taurus and Libra )के लोगो को वाहन व भवन का योग ।
– मिथुन व कन्या राशि (Gemini and Virgo) के लोगो के लिए धन लाभ ।
– कर्क राशि (Cancer )के लोगो के लिए व्यापार में लाभ व रुके हुए कार्य होंगे ।
– सिंह राशि (Leo) के लोगो के लिए वाहन सुख की प्राप्ति व राजनैतिक लाभ ।
– धनु व मीन राशि (Sagittarius and Pisces) के लोगो के लिए पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।
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