राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Gupt Navratri 2024: नवरात्रि से हमारा तात्पर्य मां भगवती (Gupt Navratri 2024) को समर्पित नौ पवित्र रातों से होता है। पंचांग के अनुसार साल में 4 नवरात्रि मनाई जाती है, जिसमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में आती है तो वहीं प्रत्यक्ष नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
वहीं गुप्त नवरात्रि में मां काली और दस महाविद्याओं की पूजा-पाठ गुप्त तरीके से करने का विधान है। इस साल गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी,शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो रहा है। अब कुछ ही दिनों में गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है तो इसके पूजा के लिए कई तरह की जरूरी सामानों की जरूरत होती है जो पूजा के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए जानते है गुप्त नवरात्रि के लिए कौनसे सामग्री की आवश्यकता होती है।
गुप्त नवरात्रि की सामग्री लिस्ट :-
1. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति
2. लाल रंग का कपड़ा और चुनरी
3. लाल चूड़ियां
4. सिंदूर
5. आम के पत्ते
6. हल्दी
7. आम के पत्ते
8. बत्ती और धूप
9. चौकी
10.दुर्गासप्तशती की किताब
11. कलश
12. चावल
13. मौली
14. 16 श्रृंगार का सामान
15. लाल फूलों की माला और फूल
16. फल
17. मिठाई
18. हवन सामग्री पैकेट
19. आम की लकड़ी
20. गंगा जी की मिट्टी
21. कुमकुम
22. पंच मेवा
23. घी और दीपक
24. नारियल
25. लौंग और कपूर
26. बताशे, पान और सुपारी
क्या है शुभ मुहूर्त
माघ गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि की शुरूआत शनिवार, 10 फरवरी की सुबह 04 बजकर 28 मिनट से होने जा रही है और यह तिथि अगले दिन यानी 11 फरवरी, रविवार को रात में 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। वहीं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी को सुबह 08 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की पूरी अवधि सिर्फ 1 घंटा 25 मिनट रहेगी।
गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की जाती है साधना :-
1. मां काली
2. मां तारा
3. मां त्रिपुर सुंदरी
4. मां भुवनेश्वरी
5. मां छिन्नमस्ता
6. मां त्रिपुर भैरवी
7. मां धूमावती
8. मां बगलामुखी
9. मां मातंगी
10. मां कमला
देवी दुर्गा पूजा मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
ॐ महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्, ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।। दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
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