Gilahraj Hanuman Mandir

Gilahraj Hanuman Mandir: दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां गिलहरी के रूप में है हनुमान, जानें इससे जुड़ी विशेषताएं

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Gilahraj Hanuman Mandir: भारत में भगवान श्रीराम के परमभक्त हनुमान (Gilahraj Hanuman Mandir) के अनेकों मंदिर है जहां उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। कहीं पर उन्हें स्त्री रूप में तो कहीं पर उनकी उल्टी प्रतिमा को पूजा जाता है। लेकिन आज हम आपको पवन पुत्र हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां उनकी पूजा एक गिलहरी के रूप में की जाती है। हनुमान जी का यह मंदिर अलीगढ़ में स्थित है। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं है। तो आइए जानते है हनुमान जी के इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं और विशेषताओं के बारे में:—

कहां है हनुमान जी का यह मंदिर:-

 

Gilahraj Hanuman Mandir

 

हनुमान जी का यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर अलिगढ़ के अचल सरोवर के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर को गिलहराज हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खोज सबसे पहले श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने की थी जो एक सिद्ध संत थे। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि इसी मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के भाई दाऊ ने पूजा की थी। बताया जाता है कि यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी की पूजा एक गिलहरी के रूप में की जाती है। इस मंदिर के आस पास 50 से ज्यादा मंदिर बने हुए है लेकिन इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और लोगों में आस्था सबसे ज्यादा देखी जाती है।

भगवान हनुमान का गिलहरी रूप:-

 

Gilahraj Hanuman Mandir

 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब भगवान राम और उनकी सेना रामसेतु पुल का निर्माण कर रहे थे।इस दौरान भगवान राम ने हनुमान जी से थोड़ा विश्राम करने के लिए कहा। लेकिन हनुमान ने आराम ना करके गिलहरी का रूप धारण किया और समुद्र पर पुल के काम में लग गए। ऐसा देख भगवान श्रीराम ने गिलहरी रूप में हनुमान जी पर हाथ फेरा। भगवान राम द्वारा फेरे गए हाथ की लकीर आज भी गिलहरी के पीठ पर नजर आता है। वहीं अलीगढ़ में हनुमान के इस रूप की पूजा की जाती है।

ऐसे हुई मंदिर की स्थापना:-

Gilahraj Hanuman Mandir

इस मंदिर का इतिहास कई सालों पुराना है। लेकिन इसका निर्माण कैसे हुआ, किसने किया इसकी कोई पुष्टि भी नहीं हुई है। कहा जाता है कि एक बार श्री महेंद्रनाथ योगी महाराज के सपने में हनुमान जी आए थे और उन्होंने महाराज जी से खुद की अलीगढ़ के अचल ताल में होने की जानकारी दी थी। इसके अगले ही दिन महाराज जी ने अपने शिष्यों को सपने की बात बताई और गुरू की बात मानकर उनके शिष्य हनुमान जी की मूर्ति खोजने लगे। मूर्ति खोजने के दौरान शिष्य को एक जगह पर झुंड में गिलहरियां निकलीं और जब उस स्थान की खोज की गई तो हनुमान जी की गिलहरी स्वरूप मूर्ति मिली। तब महाराज जी ने उसी स्थान पर हनुमान मंदिर की स्थापना की । जिसे आज दुनिया भर में गिलहराज हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मंदिर से जुड़ी विशेषताएं:-

विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर में दूर दूर से भक्त ​हनुमान के इस रूप के दर्शन करने के लिए आते है। मान्यताओं के अनुसार सभी देवताओं में हनुमान जी ही ऐसे भगवान है जो अभी भी धरती पर मौजूद है और जीवित है। इसी वजह से वह अपने भक्तों की मनोरथ को जल्दी ही पूर्ण कर देते है। वहीं यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान गिलहरी के रूप में आज भी लोगों के बीच में मौजूद है। इस मंदिर से जुड़ी एक ओर मान्यता यह भी है कि गिलहराज हनुमान मंदिर में 41 दिनों तक पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और साथ ही ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।

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