GAGANYAAN: जानिए क्या है गगनयान मिशन? क्यों है भारत के लिए महत्वपूर्ण?
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। GAGANYAAN: इसरो इस समय नासा को टक्कर देने वाले मिशनों को अंजाम दे रहा है। पहले मंगल, फिर सूर्य और अब एक और मिशन की तैयारी चल रही है। हम बात कर रहे हैं गगनयान मिशन (GAGANYAAN) की। भारत अब अंतरिक्ष में इंसान भेजने जा रहा है। मिशन गगनयान भारत का एक विशेष और महत्वपूर्ण मिशन है। इसका लक्ष्य 2025 में तीन स्थानों पर 40 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी तक पहुंचना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है।
इसरो प्रबंधन में सुरक्षित लौटेंगे अन्तरिक्ष यात्री
गगनयान मिशन (GAGANYAAN) का पूरा प्रबंधन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया जाएगा। गगनयान मिशन 2025 में लॉन्च होने वाला है। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजकर और उन्हें सुरक्षित वापस लाकर भारत की मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है। इस पूरे मिशन से इसरो समेत कई अन्तरिक्ष विद्वानों की नज़र रहेगी। अन्तरिक्ष के कई रहस्यों से इस मिशन से पर्दा उठेगा।
Mission Gaganyaan:
ISRO's CE20 cryogenic engine is now human-rated for Gaganyaan missions.
Rigorous testing demonstrates the engine’s mettle.
The CE20 engine identified for the first uncrewed flight LVM3 G1 also went through acceptance tests.https://t.co/qx4GGBgZPv pic.twitter.com/UHwEwMsLJK
— ISRO (@isro) February 21, 2024
गगनयान के लिए इन बातों पर विशेष ध्यान
इस मिशन (GAGANYAAN) की विशेषताओं की बात करें तो यह मिशन भारत की अपनी विशेषज्ञता, उद्योग अनुभव, शैक्षणिक संस्थानों के ज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उपयोग करेगा। इन सभी चीजों को मिशन विशेषताओं के रूप में देखा जाता है। इस मिशन के लिए वर्तमान में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां विकसित की जा रही हैं। विस्तार से, अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए एक मजबूत रॉकेट, अंतरिक्ष में रहने के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने की प्रणाली, आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने की प्रणाली, अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण, स्वदेश वापसी और देखभाल की योजना तैयार की जा रही है।
मानवरहित मिशनों को पहले रखा जाएगा
यह सुनिश्चित करने के लिए कई अभ्यास मिशन (GAGANYAAN) आयोजित किए जाएंगे कि अंतरिक्ष यात्रियों की वास्तविक उड़ान से पहले सभी प्रौद्योगिकियां ठीक से काम कर रही हैं। इस अभ्यास मिशन में IADT, PAT और TV की तैयारी देखी जा रही है। यह प्रक्रिया मानवरहित मिशनों को पहले रखेगी, ताकि यह जांचा जा सके कि अंतरिक्ष गतिविधियाँ और बाकी सब कुछ सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। उसके बाद असली अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी जाएगी।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi reviews the progress of the Gaganyaan Mission and bestows astronaut wings to the astronaut designates, Group Captain Prashanth Nair, Group Captain Ajit Krishnan, Group Captain Angad Pratap and Wing Commander Shubhanshu Shukla. pic.twitter.com/Yyiv499ARp
— ANI (@ANI) February 27, 2024
यह मिशन भारत के लिए खास
अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाला गगनयान मिशन (GAGANYAAN) भारत के लिए बेहद अहम और खास है। आपको बता दें कि इस मिशन को 2022 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन तभी कोरोना महामारी आ गई. इस वजह से इसमें देरी हुई. मिशन की जटिलताओं के कारण भी देरी हुई। ईश्वर की कृपा से यदि 2025 में यह मिशन सफल रहा तो भारत अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान शुरू करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
गगनयान मिशन पहला भाग रॉकेट: इसरो प्रमुख
इस गगनयान मिशन (GAGANYAAN) के बारे में बात करते हुए इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि गगनयान मिशन के लिए हमारे पास पहले से ज्यादा कौशल और आत्मविश्वास होना चाहिए। गगनयान मिशन का पहला भाग रॉकेट है। सोमनाथ ने कहा कि जब भी कोई रॉकेट प्रक्षेपण के लिए तैयार होता है तो हृदय गति बढ़ जाती है। सब कुछ ठीक होने पर भी डर अभी भी बना हुआ है।
After 40 years, India's space dreams are ready to take off! 🚀
This time, it's not just about reaching the stars; it's about showcasing our innovation. Our TIME ticks with pride, our COUNTDOWN ignites excitement, and our ROCKET roars with the spirit of Make in India#ISRO… pic.twitter.com/P7gVaQbERa
— MyGovIndia (@mygovindia) February 27, 2024
कौन सा रॉकेट इस्तेमाल किया जाएगा?
यह जानना भी बेहद जरूरी है कि भारत द्वारा लॉन्च किए जाने वाले गगनयान (GAGANYAAN) में किस रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिशन के लिए हेवी लिफ्ट लॉन्चर, एलवीएम 3 का चयन किया गया है। इसे विशेष रूप से मनुष्यों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे HLVM3 नाम दिया गया है। यह रॉकेट ऑर्बिटल मॉड्यूल को 400 किमी से ऊपर की कक्षा में ले जाएगा। रॉकेट क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होगा। इसमें सुरक्षा के भी खास इंतजाम किये गये हैं। किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए समुचित व्यवस्था भी की गयी है। यदि टेकऑफ़ के दौरान या अंतरिक्ष में रॉकेट में कोई समस्या आती है, तो क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) तुरंत सक्रिय हो जाएगा और अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित दूरी पर ले जाएगा।
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