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Yashoda Jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है यशोदा जयंती और क्या है इसका महत्व, जानें पूजा शुभ मुहूर्त

Yashoda Jayanti 2024

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Yashoda Jayanti 2024: हर साल फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि  को यशोदा जयंती (Yashoda Jayanti 2024) मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां यशोदा का जन्म हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण को मां देवकी ने जन्म दिया था लेकिन उनका लालन पालन मां यशोदा ने किया था। इस वजह से यशोदा जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही जीवन में खुशहाली आती हैं। कृष्ण मंदिरों यशोदा जयंती विशेष रूप से मनाई जाती है। ऐसे में आइए जानते है यशोदा जयंती कहा महत्व और शुभ मुहूर्त :—

यशोदा जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त:-

Yashoda Jayanti 2024

इस साल यशोदा जयंती 1 मार्च 2024 को मनाई जा रही है। यह दिन मां और बच्चे के ​बीच के प्रेम को दर्शाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरूआत 1 मार्च 2024 को सुबह 06 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 02 मार्च 2024 की सुबह 07 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 01 मार्च की सुबह 06 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं।

क्या है यशोदा जयंती महत्व:-

फाल्गुन माह साल का आखिरी और विशेष महीना माना जाता है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण के तीन रूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। इस दिन माताएं अपने बच्चे के सुख,उन्नति और दीर्घायु के लिए व्रत रखती है और मां यशोदा की विधिवत रूप से पूजा करती है। यशोदा जयंती महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारतीय राज्यों में भी मुख्य पर्व के रूप में मनाया जाता है।

यशोदा जयंती के दिन पूजा करने के लाभ:-

Yashoda Jayanti 2024

मान्यता है कि इस दिन मां यशोदा के साथ भगवान श्रीकृष्ण की उपासना की जाती है तो व्यक्ति को सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही संतान की कामना रखने वाले लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। व्यक्ति का जीवन धन धान्य और सुख समृद्धि से भरपूर रहता है।

जानें पूजा विधि:-

इस दिन प्रात:काल जल्दी उठ सभी दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नानादि कर साफ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थान की साफ सफाई कर गंगाजल छिड़कर पवित्र करें और पूजा करने के स्थान पर एक चौकी लगाए। ​इसके बाद उस चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान श्री कृष्ण को गोद में लिए माता यशोदा की प्रतिमा रखें। फिर मां के समक्ष धूप दीप जलाएं और रोली,फूल,अक्षत,कुमकुम अर्पित करें और फिर पान-सुपारी चढ़ाए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के साथ मां यशोदा को पंजीरी, मिठाई और माखन मिश्री का भोग लगाए। फिर श्रीकृष्ण के कृष्ण जी के मंत्रों का जाप करें और अपनी संतान के सुख की कामना करें। फिर आरती करने के बाद क्षमा याचना कर पूजा सम्पन्न करें।

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