Swatantrya Veer Savarkar Trailer: रणदीप हुडा की नई फिल्म स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (Swatantrya Veer Savarkar Trailer) का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। यह फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर की बायोपिक है। वीर सावरकर एक राजनेता, समाजसुधारक और एक क्रांतिकारी थे। इस फिल्म में रणदीप हुडा ने विनायक दामोदर सावरकार का किरदार निभाया है वहीं उनके साथ एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे ने उनकी पत्नी यमुनाबाई की भूमिका निभाई है। फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि वीर सावरकर का मानना था कि अहिंसा के रास्तों पर चलकर हम अंग्रेजों से नहीं लड़ सकते इस वजह से हमें उनसे लड़ना होगा।
ट्रेलर में दिखा वीर सावरकर का संघर्ष:-
फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का ट्रेलर सोमवार को रिलीज किया गया। अपने दमदार अभिनय और डायलॉग से रणदीप हुडा ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। बता दें कि जब से फिल्म का ट्रेलर रिलीज करने का ऐलान किया गया था तभी से उनके फैंस इस ट्रेलर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इस फिल्म का निर्देशन रणदीप हुडा ने खुद किया है। वह पहली बार बतौर डायरेक्टर बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे है।
वहीं ट्रेलर की बात करें तो 03 मिनट 21 सेकेंड के इस ट्रेलर में वीर सावरकर (रणदीप हुडा) अखंड भारत बनाने की बात करते है। वह महात्मा गांधी के अहिंसा और कई विचारों पर सहमत नहीं थे। ट्रेलर की शुरुआत रणदीप हुड्डा के डायलॉग से होती है जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि ‘हम सबने पढ़ा है कि भारत को आजादी अहिंसा से ही मिली लेकिन यह वो कहानी नहीं है। वहीं ट्रेलर में दिखाया गया है कि उन्हें दो उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है और जेल में रहते हुए कई प्रकार की यातनाएं दी जाती है। फिल्म के डायलॉग इतने बेहतरीन है कि ट्रेलर देख आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
22 मार्च 2024 को होगी रिलीज:-
फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ 22 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म को ज़ी स्टूडियोज, रणदीप हुडा, संदीप सिंह,आनंद पंडित और योगेश राहर ने प्रोड्यूस किया है। आज के समय काफी कम लोग जानते है कि सावरकर ने भारत को आजाद कराने में एक अहम भूमिका निभाई थी और अपने व्यवहार की वजह से उनकी महात्मा गांधी से कभी नहीं बनी।
वह महात्मा गांधी के विचारों से असहमत थे। वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था और वह हिंदुत्व विचारधारा के समर्थक थे। देश को आजाद कराने के लिए वह हमेशा स्वदेशी आंदोलन से जुड़े रहे और आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। वह एक क्रांतिकारी होने के साथ ही एक लेखक,वकील,राजनेता और समाज सुधारक भी थे।
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