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Mangal Kalash Significance: क्या है मंगल कलश का महत्व और घर में कैसे करें इसकी स्थापना?

Mangal Kalash Significance

Mangal Kalash Significance: हिंदू धर्म में धार्मिक व मांगलिक कार्यो में कलश (Mangal Kalash Significance) स्थापना की विशेष महत्व होता है। चाहे नए व्यापार की शुरूआत हो या फिर गृह प्रवेश, दिवाली, नवरात्रि, यज्ञ, पूजा, नए साल का प्रांरभ इत्यादि सभी अवसरों पर कलश की स्थापना की जाती है और उसके बाद से उस कार्य की शुरूआत होती है। ऐसे में आज हम आपको मंगल कलश की स्थापना का महत्व और घर में कैसे इसकी स्थापना करनी चाहिए। इससे जुड़ी जानकारी साझा करने जा रहे है। तो आइए जानते है मंगल कलश का क्या है महत्व :-

जानें मंगल कलश का महत्व:-

Mangal Kalash Significance

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कलश में दै​वीय शक्तियों का वास होता है और कलश के मुख पर भगवान विष्णु,कलश के कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा जी का निवास माना गया है। वहीं कलश में भरा गया जल इस बात का प्रतीक होता है कि जल की ही भांति हमारा मन भी साफ,निर्मल और शीतल बना रहेगा।

पूजा के दौरान कलश स्थापना इसलिए भी की जाती है क्योंकि इससे व्यक्ति के अंदर क्रोध,ईर्ष्या,घृणा,जलन,लोभ और किसी भी प्रकार की माया की भावनाओं से दूर रहता है और साथ ही घर परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे परिवार में सुख समृद्धि व खुशहाली आती है और मां लक्ष्मी का निवास होता हैं।

घर में इस तरह से करें मंगल कलश की स्थापना:-

Mangal Kalash Significance

जब भी कोई शुभ व मांगलिक कार्य होता है उसमें कलश स्थापना की जाती है। लेकिन वास्तु के अनुसार कलश स्थापना के कुछ जरूरी नियम बताए गए है। ​नियमों के अनुसार सबसे पहले कलश में स्वच्छ जल भरकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाए। इसके बाद उस जल भरे कलश में एक सिक्का, चंदन, सुपारी, हल्दी, इलायची, अक्षत, पान, लौंग और इलायची डालें। इसके बाद उस कलश में आम का पल्लव अर्थात आम का पत्ते रख कर उस पर पानी भरा नारियरल रखें। इसके बाद कुमकुम और रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाएं और फिर कलावा या मौली बांधें।

इस प्रक्रियां के बाद में पूजा के स्थान पर अष्टदल कमल की आकृति बनाए और उसी पर कलश की स्थापना करें। अष्टदल कमल बनाकर कलश की स्थापना करना बेहद शुभ माना जाता है। इस बात का खास ध्यान रखें कि कलश की स्थापना घर के ईशान कोण में ही करें। दरअसल घर में अधिकतर पूजा स्थल या मंदिर ईशान कोण में ही बनाए जाते है। क्योंकि इस दिशा में देवताओं का वास माना जाता है। इस लिए घर में कलश की स्थापना ईशान कोण में ही करें और कलश के लिए हमेशा मिट्टी,तांबे,सोना और चांदी के कलश का ही प्रयोग करें।

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