Jangam Sadhu: लखनऊ। आज महाशिवरात्रि का पर्व समूचे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में आपको जगह-जगह तरह-तरह के भक्त भगवान् शिव की भक्ति में लीन दिखाई देंगे। इन्ही भक्तों में से एक हैं जंगम साधू (Jangam Sadhu)। अपने विशेष पहनावे के कारण अलग ही दिखने वाले जंगम साधुओं के बारे में कहा जाता है कि इनकी उत्पत्ति भगवान शिव की जंघा से हुई है और यही कारण है की इन्हे जंगम कहा जाता है।एक और खास बात इन्हे अन्य साधुओं से अलग करती है वो है इनका केवल साधुओं से से ही भिक्षा लेना और वो ही अपने हाथों में नहीं बल्कि अपनी ‘टल्ली’ में लेते हैं।
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विशेष होता है जंगम साधुओं का पहनावा
इन साधुओं को इनके पहनावे से ही आसानी से पहचाना जा सकता है। ये अपने सर पर मोर पंखों से बनी विशेष टोपी पहनते हैं। सफेद और केसरिया वस्त्र पहने ये साधु भगवान शिव के गीत गाते हैं और साधुओं के अलग-अलग अखाड़ों में जाते हैं। इन्हे अक्सर शिवरात्रि और सावन के अमुक पर जगह जगह देखा जा सकता है। इसके साथ ही जंगम साधू (Jangam Sadhu) माघ मेला और कुम्भ मेले भी स्नान करने आते हैं। जंगम साधु भगवान शिव के भक्त हैं और लिंगायत परंपरा का पालन करते हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिणी भारतीय राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में प्रचलित है।
भगवान शिव ही हैं जंगम साधुओं के आराध्य
जंगम साधु भगवान शिव के समर्पित अनुयायी हैं, जो उन्हें सर्वोच्च देवता मानते हैं। वे दैवीय ऊर्जा के प्रतीक के रूप में शिव लिंग की पूजा करते हैं और अक्सर एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते हुए भगवान शिव की भक्ति का संदेश फैलाते हैं। जंगम साधु (Jangam Sadhu) लिंगायत समुदाय से हैं, जो दक्षिण भारत में एक प्रमुख शैव संप्रदाय है। लिंगायत सभी व्यक्तियों की समानता में विश्वास करते हैं और जाति व्यवस्था को अस्वीकार करते हैं। वे ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति और आत्म-अनुशासन पर बहुत जोर देते हैं।
जंगम साधूऒं की जीवन शैली
जंगम साधु एक सरल और कठोर जीवन शैली जीते हैं। यह अक्सर भौतिक संपत्ति का त्याग करते हैं और भटकते हुए तपस्या का जीवन जीते हैं। वे रुद्राक्ष की माला, भगवा वस्त्र पहनते हैं और आमतौर पर भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में एक त्रिशूल रखते हैं। जंगम साधु (Jangam Sadhu) शैव धर्म से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों को करने के लिए जाने जाते हैं। वे अपनी धार्मिक प्रथाओं के हिस्से के रूप में प्रार्थनाएँ आयोजित करते हैं, पूजा अनुष्ठान करते हैं और पवित्र नृत्य (जैसे वीरशैव नृत्य) करते हैं।
सामाजिक सेवा में भी रहते हैं संलग्न
अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति समर्पित रहते हुए, जंगम साधु सामाजिक सेवा गतिविधियों में भी संलग्न रहते हैं। वे अक्सर अपने भक्तों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं, सामुदायिक कल्याण पहल में भाग लेते हैं और समाज के समग्र कल्याण में योगदान देते हैं। जंगम साधु (Jangam Sadhu) लिंगायत परंपरा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शिक्षाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपनी शिक्षाओं, अनुष्ठानों और प्रथाओं के माध्यम से, वे भावी पीढ़ियों के लिए शैव दर्शन और प्रथाओं की निरंतरता सुनिश्चित करते हैं।
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