Spiritual Holi Places: बनाना चाहते हैं होली को एक आध्यात्मिक उत्सव तो जाएँ भारत के इन शहरों में, अद्भुत होगा अनुभव
Spiritual Holi Places: लखनऊ। वो जमाना गया जब लोग साल दर साल एक ही तरह से किसी उत्सव को मनाते थे। अब ऐसा नहीं है। अब लोग, खास कर नयी जनरेशन, किसी भी फेस्टिवल (Spiritual Holi Places) को नए-नए तरीके से मानने में यकीन करते हैं। अब लोग फेस्टिवल्स के दौरान अपने घरों में सिमट कर नहीं बल्कि नयी नयी जगहों को एक्स्प्लोर करना चाहते हैं।
ये लोग भी ऐसी वैसी जगह जाना भी नहीं चाहते। नयी जनरेशन ऐसी जगह जाना चाहती है जहाँ वो अपनी रोजाना की भागदौड़ भरी जिंदगी से तो आराम मिले ही साथ ही उन्हें आध्यात्मिक सुख (Spiritual Holi Places) भी प्राप्त हो। स्काईस्कैनर की ट्रैवल इन फोकस 2023 रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि मिलेनियल्स और जेन जेड की सांस्कृतिक अनुभवों में गहरी रुचि है। रिपोर्ट से पता चलता है कि युवा ट्रैवलर्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (18-24 साल के 52% और 25-34 साल के 59%) भारतीय आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं।
कहीं भी घूमने के लिए छुट्टियां चाहिए होती है। इस साल होली ऐसे समय पड़ रहा है जब आपको वीकेंड के साथ-साथ होली की भी छुट्टी मिल जा रही है। ऐसे में इस फेस्टिवल को घर पर ना मना कर आप एक छोटी सी ट्रिप की प्लानिंग कर सकते हैं। होली (Spiritual Holi Places) का समय है तो प्लान भी ऐसी जगहों की करें जहाँ आओ फेस्टिवल का मजा लेने के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति भी पा सकें। आज हम इस आर्टिकल में आपको ऐसी ही जगहों बताएँगे जहाँ होली का अनुभव तो अलग होता ही है, साथ ही आप यहाँ के आध्यात्मिक वातावरण में पूरी तरह से डूब कर बिलकुल तारो ताजा हो जायेंगे। आइये डालते हैं उन खास जगहों पर एक नजर:
आध्यात्मिक होली उत्सव (Spiritual Holi Places) के लिए, भारत में कई शहर हैं जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक महत्व और पारंपरिक होली उत्सव के लिए जाने जाते हैं। यहां चार शहर हैं जो अद्वितीय और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होली का अनुभव प्रदान करते हैं:
मथुरा और वृन्दावन (Mathura and Vrindavan)
मथुरा और वृन्दावन को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान और बचपन का निवास स्थान माना जाता है। यह जगह भारत में होली उत्सव का एक तरह से केंद्र है। यहाँ होली पर सप्ताह भर से ज्यादा उत्सव मनाया जाता है। मथुरा में “लट्ठमार होली” और वृन्दावन में “फूलों वाली होली” का अलग ही अंदाज होता है। ये जगहें पौराणिक कथाओं और परंपरा से ओत-प्रोत है। अन्य जगहों के विपरीत इन दो शहरों में होली के दिन लोग मंदिरों में इकट्ठा होते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और रंगों और फूलों के साथ भगवान कृष्ण और राधा की चंचल हरकतों को दोहराते हैं।
बरसाना (Barsana)
मथुरा के पास ही स्थित बरसाना अपने अनोखे “लट्ठमार होली” समारोह के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने एक बार बरसाना का दौरा किया और गोपियों को छेड़ा। बदले में गोपियों ने उन्हें खेल-खेल में लाठियों से मार कर भगा दिया। लट्ठमार होली के दौरान, बरसाना में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं। इस दृश्य को देखने के लिए यहाँ इस अवसर पर देश विदेश से लोग आते हैं और होली के उत्सव में डूब जाते हैं।
शांतिनिकेतन (Shantiniketan)
नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर का निवास शांतिनिकेतन, होली को “बसंत उत्सव” या वसंत के त्योहार के रूप में मनाता है। यहाँ यह उत्सव सांस्कृतिक सद्भाव और कलात्मक अभिव्यक्ति के टैगोर के दृष्टिकोण से ओत-प्रोत होता हैं। यहाँ के छात्र और कलाकार टैगोर के गीत गाने, पारंपरिक नृत्य करने और जीवंत रंगोली बनाने के लिए विश्वभारती विश्वविद्यालय में इकट्ठा होते हैं। यह त्योहार पारंपरिक रूप से एक दूसरे पर रंग फेंकने के साथ समाप्त होता है।
पुष्कर (Pushkar)
भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक, पुष्कर अपनी पवित्र झील और कई मंदिरों के लिए जाना जाता है। होली के दौरान, शहर रंग-बिरंगे जुलूसों, लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन से जीवंत हो उठता है। यह उत्सव आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक उल्लास का मिश्रण पेश करता है, जिसमें भक्त प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं। पुष्कर की सड़कें और परिवेश आध्यात्मिक होली उत्सव के लिए एक शांत पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।
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