Delhi Excise Policy Scam: नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति मामले में राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के.कविता को सुप्रीम कोर्ट (Delhi Excise Policy Scam) से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कविता को जमानत देने से इनकार कर दिया है और कविता से कहा है कि इसके लिए वह पहले ट्रायल कोर्ट जाएं। वहीं कोर्ट ने कविता की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए ईडी से छह सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कविता को निचली अदालत से संपर्क करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रथा है जिसका यह अदालत पालन कर रही है और इस प्रोटोकॉल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बता दें कि राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को दिल्ली की एक कोर्ट ने सात दिन के लिए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की हिरासत में भेजा था। वहीं इस मामले पर ईडी का कहना है कि तलाशी के दौरान उन्हें कविता के खिलाफ सबूत मिले है।
ईडी ने 15 मार्च को के कविता को लिया था हिरासत में
तेलंगाना विधान परिषद की सदस्य और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी और राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता को ईडी द्वारा 15 मार्च को 7 दिन के लिए हिरासत में लिया गया था। वह 23 मार्च तक ईडी के हिरासत में है।
कोर्ट ने ईडी से 6 सप्ताह में मांगा है जवाब
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि जहां तक धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कविता की याचिका का सवाल है तो अदालत ईडी को नोटिस जारी कर रही है और 6 सप्ताह के में जवाब मांग रही है। इसके साथ ही पीठ ने कविता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा है कि प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका लंबित मामलों के साथ आएगी।
ऐसे आया था के. कविता का नाम
जानकारी के अनुसार दिल्ली शराब नीति मामले के आरोपियों में से एक अमित अरोड़ा से पूछताछ के दौरान के. कविता नाम सामने आया था। अमित अरोड़ा ने इस मामले में कविता का नाम लिया था। इसके बाद के. कविता को पूछताछ के लिए बुलाया गया। इसके बाद जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि साउथ ग्रुप नामक एक शराब लॉबी थी जिसने एक दूसरे आरोपी विजय नायर के द्वारा ‘आप’पार्टी के कई नेताओं को 100 करोड़ रूपए तक का भुगतान किया था।