Holi Kab Hai

Holi Kab Hai: 25 या 26 मार्च इस वर्ष कब है होली, जानें प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से

Holi Kab Hai: लखनऊ। इस वर्ष होलिका दहन और होली कब है (Holi Kab Hai) इस बात को लेकर अभी भी संशय है। किसी जगह होली 25 मार्च तो कहीं होली 26 मार्च को मनाने की तैयारी है। इस सम्बन्ध में महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन करने का विधान है।

Holi Kab Haiकब है होलिका दहन

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार रविवार को सुबह 09:23 के पश्चात पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होकर सोमवार को सुबह 11:31 तक रहेगी। अतः रविवार को ही रात्रि में 10:28 मिनट भद्रा के पश्चात होलिका दहन (Holi Kab Hai) किया जाएगा । होलिका का पूजन करते हुए “ॐ होलिकायै नमः” मन्त्र पढ़ते हुए होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन 24 मार्च रविवार को ही होगा।

Holi Kab Haiहोली है 26 मार्च मंगलवार को

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार होलिकोत्सव (Holi Kab Hai) चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 26 मार्च मंगलवार को सर्वत्र होली पर्व मनाया जाएगा जो की प्रातः काल होलिका के भस्म को मस्तक पर लगाकर आने वाले नूतन सम्वत्सर की मंगल कामना करते है। भारतीय सनातन धर्मसंस्कृति का यह पर्व अनुपम एवं अद्वितीय है। इस दिन पूरे वर्ष भर के संचित विकार दूर करने के लिए धर्म शास्त्रों ने हास्य-विनोद को भी शास्त्रीय मान्यता प्रदान किया है। यह पर्व परस्पर कटुता को समाप्त कर देता है व आपसी प्रेम सौहार्द स्थापित करता है।

Holi Kab Hai
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय
होलिका दहन में न जलाएँ हरा पेड़ धर्म शास्त्रों में भी है निषेध

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि होलिका दहन (Holi Kab Hai) में हरा पेंड़ नहीं जलना चाहिए। हरा वृक्ष जलाने से पर्यावरण दूषित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरे वृक्ष पर बुध ग्रह का स्वामित्व होता है। अतः हरा वृक्ष जलाने से व्यक्ति को रोग व शोक दोनों तरह के कष्टो का सामना करना पड़ता है अतः हरे वृक्ष की रक्षा करें जलाएँ न। होलिका में उपला (कण्डी) सुखी लकड़ी आदि ही जलायें।

Holi Kab Haiक्या करें होलिका दहन के दिन

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन चाहिए की सायं काल पहले से बनाई गयी होलिका (Holi Kab Hai) के पास दक्षिण दिशा में एक कलश रखकर पञ्च देवताओं की पूजा कर अन्त में होलिका का भी पूजन करके उनका दहन करें। दूसरे दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर हनुमान जी व भैरव जी की पूजा करें। फिर उनपर रोली, मौली, चावल,पुष्प,गुलाल चन्दन नारियल आदि अर्पित कर आरती कर उनको प्रणाम करें।

अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार से इसको मनाने का विधान है परन्तु सर्वसम्मत से अपने से बड़े व छोटे सबको अबीर, गुलाल लगाकर प्रणाम करना, गले मिलना व मिठाई बाटने की परम्परा साथ ही रंग भी एक दूसरे के ऊपर डालने का विधान है। जो प्रेम सौहार्द व आत्मीयता का प्रतीक है। यह पर्व हिरण्यकश्यप की वहन होलिका के मरने के पश्चात से ही मनाया जा रहा है । यह सत्य की विजय व अत्याचारी के दमन का प्रतीक है।

Holi Kab Haiसभी समस्याओं को दूर करने के लिए क्या करें

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है यदि आपको समस्याओं ने घेर रखा है तो होली (Holi Kab Hai) के दिन गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर सुखा लें। इसे घर के मेन गेट पर लटकाने से घर में रहने वाले सभी लोगों की समस्याएं दूर हो जाती हैं। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि वैसे तो महादेव की आराधना से हमें वांछित फल मिलता है किन्तु होली के दिन भगवान महादेव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन का सम्पूर्ण सुख मिलता है।

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