What is AFSPA: जानें क्या है AFSPA, जिसे हटाने पर विचार रही है सरकार, गृह मंत्री शाह ने बताया पूरा प्लान
What is AFSPA। दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (What is AFSPA) यानी AFSPA को हटाने का विचार कर रही है। इस बात की जानकारी स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी। अपने एक इंटरव्यू के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पिछले 7 साल की ब्लूप्रिंट तैयार किया है। इसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर से केंद्रीय सैन्य बलों को वापस बुला लिया जाएगा और लॉ एंड ऑर्डर को जम्मू-कश्मीर पुलिस को विशेष रूप से सौंप दिया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था लेकिन अब पुलिस सेंट्रल फोर्स के साथ कदम मिलाकर चल रही है और आतंकवाद के खिलाफ और विभिन्न अभियानों का नेतृत्व भी कर रही है।
जानें AFSP हटाने पर क्या बोले अमित शाह
मंगलवार को अपने दिए एक इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की पुलिस में काफी बदलाव आए है। अब वह आतंकवाद के साथ साथ दूसरे कई अभियानों का नेतृत्व भी कर रही है। पहले सिर्फ सेना और केंद्रीय बल ही नेतृत्व कर रहे थे। गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा 7 सालों का एक खाका तैयार किया गया है। जिसके तहत जम्मू कश्मीर की कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस को सौंप दिया जाएगा। अभी हम जम्मू कश्मीर से AFSPA हटाने के बारें में विचार करेंगे। हम पहले कश्मीर के युवाओं से बात करेंगे ना कि उन संगठनों से जिनकी जड़े पाकिस्तान में है।
POK पर अमित शाह ने कही ये बात
अमित शाह ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का ही एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पीओके में रहने वाले मुस्लिम भाई भी भारतीय है और हिंदू भाई भी भारतीय है। पाकिस्तान ने जो जमीन अवैध रूप से कब्जा की है वो जमीन भी भारत की है। इसे वापस पाना हर भारतीय और हर कश्मीरी का लक्ष्य है। पीओके को भारत में वापस लाना हर भारतीय का लक्ष्य और इच्छा है।
क्या है AFSPA?
एएफएसपीए एक ऐसा लॉ है जो अशांत इलाकों पर ही लागू किया जाता है। सशस्त्र सेना के उन जवानों को राइट्स देता है जिन अशांत इलाकों में वह काम कर रहे है। उन क्षेत्रों में लोक व्यवस्था कायम रखने के लिए जरूरत पड़ने पर वह तलाशी, गिरफ्तारी कर सकते है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकते है। यह कानून 11 सिंतबर 1958 को बनाया गया था। जम्मू कश्मीर में यह कानून 90 के दशक में बढ़ते हुए आतंकवाद देखते हुए लगाया गया था। इसके बाद से पूर्वोत्तर से 70 फीसदी से ज्यादा इलाकों में इसे हटाया जा चुका है। लेकिन जम्मू कश्मीर में अभी भी एएफएसपीए कानून लागू है।
सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में होंगे चुनाव
चुनाव को लेकर अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है जिसे समय रहते पूरा किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यह लोगों का लोकतंत्र होगा ना कि सिर्फ 3 परिवारों तक सीमित रहेगा। जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर में सितंबर से पहले चुनाव कराने का आदेश दिया गया हैं।