PM MODI ON CONGRESS: देशभर के जाने-माने वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक विशेष समूह देश में न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) ने इस मामले में कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने पत्र की एक प्रति अपने सोशल मीडिया हैंडल पर दोबारा पोस्ट की और लिखा कि दूसरों को डराना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है।
600 वकीलों ने लिखा सीजेआई चंद्रचूड़ को पत्र
देशभर के करीब 600 प्रतिष्ठित वकीलों द्वारा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे गए पत्र का पीएम मोदी ने जवाब दिया है। उन्होंने लिखा कि डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा सहित कई वकीलों ने सीजेआई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि निहित स्वार्थी समूह ‘बेकार तर्कों और आधारहीन राजनीतिक एजेंडे’ के आधार पर न्यायपालिका पर हमला कर रहे हैं। दबाव बनाने और अदालतों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
सोशल मीडिया पर वकीलों के पत्र को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने लिखा, ‘पांच दशक पहले, उन्होंने एक प्रतिबद्ध न्यायपालिका का आह्वान किया था।’ वे बेशर्मी से अपने स्वार्थ के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय इसे खारिज कर रहे हैं।” आपको बता दें कि 26 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में कहा गया है कि उनकी दबाव की रणनीति का इस्तेमाल राजनीतिक मामलों में किया जाता है, खासकर उन मामलों में। भ्रष्टाचार के आरोपी राजनीतिक हस्तियों से जुड़े मामलों में यह सबसे अधिक स्पष्ट है। “ये रणनीति हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।
To browbeat and bully others is vintage Congress culture.
5 decades ago itself they had called for a "committed judiciary" – they shamelessly want commitment from others for their selfish interests but desist from any commitment towards the nation.
No wonder 140 crore Indians… https://t.co/dgLjuYONHH
— Narendra Modi (@narendramodi) March 28, 2024
वकीलों ने पत्रों में क्या लिखा है?
पूरा मामला आरोप प्रत्यारोपों का है। पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर इस तरह निशाना साधा गया, कि उन पर दिन में राजनेताओं का बचाव करने का आरोप लगाया गया है और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया। पत्र में कहा गया है कि समूह अदालत के कथित बेहतर अतीत और स्वर्ण युग की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें परेशान करना है। आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी उन लगभग 600 वकीलों में शामिल हैं, जिन्होंने ‘न्यायपालिका को खतरा: राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से न्यायपालिका की रक्षा’ शीर्षक से पत्र लिखा था।
पूरा प्रकरण समझिए…
हालाँकि वकीलों ने पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं किया है, यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े कई प्रमुख आपराधिक भ्रष्टाचार के मामलों से निपट रही हैं। जहां विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप से इनकार किया है। कुछ प्रमुख वकीलों सहित इन विपक्षी दलों ने दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के खिलाफ हाथ मिलाया है। पत्र लिखने वाले वकीलों ने कहा है कि समूह ने ‘बेंच फिक्सिंग’ की पूरी कहानी गढ़ी है जो न केवल अपमानजनक है बल्कि अदालत के सम्मान और गरिमा पर हमला है। पत्र के मुताबिक, “ये लोग अपनी अदालतों की तुलना उन देशों से करने लगे हैं जहां कानून का कोई शासन नहीं है।” इन वकीलों ने कहा है कि इन आलोचकों का रवैया यह है कि वे जिस फैसले से सहमत होते हैं उसकी सराहना करते हैं, लेकिन जिस फैसले से वे असहमत होते हैं उसके प्रति अवमानना करते हैं।
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