Satuan Festival 2024: सतुआन मुख्य रूप से भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में मनाया जाता है। यह स्थानीय कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करता है, जो अप्रैल के मध्य में बैसाखी के त्योहार के ठीक बाद पड़ता है, जो सूर्य के मेष राशि में संक्रमण (मेष संक्रांति) (Satuan Festival 2024) के साथ मेल खाता है। यह अवधि फसल के मौसम की शुरुआत और रबी फसल के मौसम के अंत का संकेत देती है, जिससे यह कृषि समुदाय के लिए खुशी और समृद्धि का समय बन जाता है।
कब है इस वर्ष सतुआन (Satuan Festival 2024 Date)
हिन्दू धर्म के अनुसार जब सूर्य मीन से मेष राशि में जाते हैं तो इस अवसर पर मेष संक्रांति होती है। इसी दिन को सतुआन पर्व (Satuan Festival 2024) के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि प्रतिवर्ष 13-14 अप्रैल के आस पास पड़ती है। इस वर्ष यह दिन 14 अप्रैल को मनाया जायेगा। ज्योतिषों के अनुसार इस दिन खरमास की भी समाप्ति होती है और इसके बाद शादी, विवाह, जनेऊ, मुंडन जैसे शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इस दिन (Satuan Festival 2024) स्नान का विशेष महत्वा होता है और बहुत सारे लोग इस दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान करते हैं।
कैसे मनाया जाता है सतुआन? (How do Satuan Festival Celebrated)
सत्तू और आम की बौरियां का सेवन- यह त्योहार ‘सत्तू’ के साथ जुड़ाव के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन (Satuan Festival 2024) सत्तू और आम की बौरियां की चटनी बना कर खाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सत्तू खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और आने वाले गर्म महीनों के दौरान शरीर ठंडा रहता है।
सरल और संयमित उत्सव- सतुआन (Satuan Festival 2024) को सादगी से मनाया जाता है। लोग आमतौर पर सुबह-सुबह नदियों या तालाबों में डुबकी लगाते हैं, प्रार्थना करते हैं और फिर अपने भोजन में सत्तू खाते हैं। शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से स्वच्छता और पवित्रता पर विशेष जोर दिया जाता है।
दान और सामाजिक सद्भाव- इस दिन जरूरतमंदों ब्राह्मण को दान करना, जानवरों को खाना खिलाना और गरीबों की मदद करना सराहनीय कार्य के रूप में देखा जाता है। यह त्यौहार सामाजिक सद्भाव और सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देता है।
सांस्कृतिक महत्व- अपने कृषि और पोषण संबंधी महत्व के अलावा, सतुआन (Satuan Festival 2024) का एक सांस्कृतिक आयाम भी है, जिसमें लोक गीत, नृत्य और कहानी कहने के सत्र हैं जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। यह एक ऐसा समय है जब लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान पर विचार करते हैं और प्रकृति के उपहारों का जश्न मनाते हैं।
पर्यावरण जागरूकता- कुछ क्षेत्रों में सतुआन को पर्यावरण चेतना से भी जोड़ा जाता है। त्योहार की गतिविधियों के हिस्से के रूप में पेड़ लगाने और जल निकायों की देखभाल करने को प्रोत्साहित किया जाता है, जो प्रकृति के साथ मानव जीवन के अंतर्संबंध को उजागर करता है।
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