Loksabha Election 2024; Jamui_Seat:जमुई में सियासत की जंग जबरदस्त

Loksabha Election 2024;Jamui seat:पटना। बिहार में loksabha Election  2024 के महासमर की रण भेरी बज चुकी है। जमुई में पहले फेज में ही यानी 19 अप्रैल को मतदान होना है। नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। सियासत के अखाड़े में इस बार Jamui Loksabha क्षेत्र के  सात दिग्गज पहलवान मैदान में हैं । लेकिन इस बार असली जंग में दो नए पहलवानों के बीच टक्कर  होने वाली है। हालाकि जमुई  सीट से लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान दो बार सांसद रह चुके हैं। लेकिन इस बार यह सीट चिराग पासवान ने अपने बहनोई अरूण भारती को सौंप दी है। उधर राजद ने चर्चित और तेजतर्रार महिला अर्चना रविदास को मैदान में उतार अरूण भारती को कड़ी चुनौती दी है। अब देखना दिलचस्प है कि जमुई की जंग में किसकी होगी सह किसकी होगी मात ।

जमुई का इतिहास

जमुई का इतिहास विरोधाभासों से भरा हुआ है। एकतरफ जहां जमुई भगवान महावीर की जन्मस्थली और अहिंसा की धरती के रूप में जानी जाती है तो दूसरी तरफ पिछले कुछ सालों से देश के शीर्ष नक्सल प्रभावित पांच जिलों में भी इसका नाम है। पर्यटन की दृष्टि से राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी पहचान रखनेवाला यह इलाका इन दिनों 2024 के महासंग्राम के मद्देनजर देश भर की नजरों में हॉट सीट बन गया है। यहां यह जानना जरूरी है कि जमुई एक सुरक्षित सीट है।

जमुई लोक सभा सीट 1952 से लगभग पांच दशक के बाद 2009 में दोबारा अस्तित्व में आया। तब से आजतक बाहरी प्रत्याशियों ने ही इस सीट पर कब्जा जमाया है। 2009 में एनडीए की ओर से जदयू के भूदेव चौधरी ने इस सीट पर जीत दर्ज की उन्होंने राजद के कद्दावर नेता श्याम रजक को पराजित किया था ।दूसरी बार जब राजग गठबंधन में यह सीट लोजपा के खाते में गई तो 2014 में लोजपा के चिराग पासवान ने यह सीट आसानी से जीत ली।2019 में भी चिराग पासवान मैदान में उतरे तब भूदेव चौधरी महागठबंधन की तरफ से लड़े और चिराग पासवान ने भूदेव चौधरी को शिकश्त दी।

बताते चलें कि नक्सल प्रभावित इस इलाके में सिंचाई की समस्या, बेरोजगारी,पलायन, बढ़ता अपराध और उद्योग धंधों की कमी मूल समस्याएं हैं जिनसे जनता वर्षों से जूढ रही है लेकिन जमुई लोकसभा सीट पर विकास और मुद्दों की लड़ाई कभी नहीं हुई हमेशा से इस सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव लड़े और जीते गए हैं।खास बात है कि यह सीट पिछले 15 साल से एनडीए के कब्जे में है।

जमुई का  जातीय समीकरण

जमुई लोकसभा क्षेत्र में छः विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 1. तारापुर 2. शेखपुरा 3. सिकंदरा 4. जमुई, 5. झाझा और 6. चकाई, जमुई में कुल मतदाता 17 लाख के आसपास हैं।जिसमें दलित महादलित वोटर साढ़े तीन लाख, यादव ढ़ाई से तीन लाख, इसी तरह गैर धानुक अति पिछड़ा 2 लाख,मुसलमान सवा दो लाख और वैश्य डेढ़ लाख के आसपास माने जाते हैं।वहीं भूमिहार वोटरों की संख्या सवा लाख से डेढ़ लाख के आस-पास तो राजपूत सवा लाख और अन्य सवर्ण लगभग 75 हजार हैं।जमुई में कोईरी एक लाख के आसपास,और कुर्मी और धानुक भी एक लाख के आसपास हैं। जातिवार वोटरों की संख्या को देखें तो दलित महादलितों की बहुलता वाले इस सीट पर यादव,पिछड़ा अति पिछड़ा वोटर अगर गेम चेंजर साबित होता है तो सवर्ण वोटर भी अगर एकजुट हो जाएं तो किसी प्रत्याशी के लिए कड़ी चुनौती बन सकते हैं।

अपने जीजा के लिए चिराग ने छोड़ी जमुई सीट

सुरक्षित सीट होने के कारण दलित और महादलितों के कई बड़े राजनेता यहां से भाग्य आजमाना चाहते थे लेकिन अब स्थिति साफ है। लोजपा रामविलास के सुप्रीमो चिराग पासवान के बहनोई अरूण भारती एनडीए के प्रत्याशी है तो उधर राजद ने पहले ही अर्चना रविदास को टिकट देकर चिराग के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बताते चलें कि जमुई की जनता चाहती थी कि चिराग पासवान यह सीट नहीं छोड़े और चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस को चुनौती दे चुके थे कि हाजीपुर उनके पिता की विरासत है और वे ही राम विलास पासवान के असली वारिस हैं। ऐसे में चिराग पासवान ने हाजीपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी । चिराग ने जमुई के लोगों से कहा कि अपने परिवार के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य को यह सीट इसीलिए दी है कि ताकि यहां कि जनता से उनका लगाव बना रहा। अरूण भारती ने भी नामांकन पर्चा भरते समय कहा कि वे चिराग पासवान के किए गए काम को ही आगे बढ़ाएंगे। अरूण भारती राजनीतिक संपन्न परिवार से आते हैं उनकी मां ज्योति कांग्रेस की कद्दावर नेता रह चुकी हैं। अरूण भारती पढ़े लिखे और संभ्रांत युवा नेता हैं।

दो दिग्गज पहली बार चुनावी अखाड़े में

उधर अर्चना भारती ने भी एम तक की पढ़ाई की है। तेज तर्रार नेत्री के रूप में उनकी पहचान है।  जमुई की बेटी हैं और शादी मुंगेर में हुई है। इसलिए उनका भरोसा है कि जनता इसबार स्थानीय नेता को चुनकर भेजेगी। इस तरह जमुई की जंग बड़े दिलचस्प मोड़ पर आ गई है। वैसे तो जमुई को लेकर यह साफ है कि मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन होने जा रहा है। एक कॉमन बात यह है कि राजद की उम्मीदवार अर्चना रविदास भी पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरी हैं और लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार डॉ. अरुण भारती भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। एक फर्क है कि अरुण भारती को चिराग पासवान की  मेहनत से बनाई जमीन मिली है जबकि राजद की उम्मीदवार अर्चना रविदास अपना आधार खुद बना रही हैं। हालांकि जमुई लोकसभा में अभी ट्विस्ट आना बाकी है चर्चा है कि बहुजन समाज पार्टी के सकलदेव दास भी जनाधार वाले नेता  हैं। सकलदेव दास जमुई के लोकल प्रत्याशी हैं और उन्हें भी उम्मीद है कि जनता इसबार स्थानीय नेता को ही चुनेगी ।

जमुई में बहुजन समाज पार्टी की भी इंट्री

कुल मिलाकर देखें तो जमुई में सीधी लड़ाई अर्चना रविदास और अरूण भारती के बीच ही दिखती है।  अर्चना रविदास के पति मुकेश यादव मुंगेर से जाने माने कद्दावर राजद नेता हैं जिन्होंने एक बार विधायक और एक बार विधान पार्षद का चुनाव लड़ा है। अर्चना रविदास जाति से दलितों में चमार जाति से हैं और उनके पति यादव हैं। ऐसे में दलित यादव और मुस्लिम मतदाताओं पर उनको भरोसा है। उधर चिराग पासवान की बनाई हुई जमीन पर उनके बहनोई अरूण भारती चुनाव मैदान में यह कह कर उतर रहे हैं कि चिराग पासवान के किए कामों को वो आगे बढ़ाएंगे। चिराग पासवान भी बार –बार जमुई की जनता से विनती कर रहे हैं कि उन्होंने जमुई को छोड़ा नहीं है।

बहरहाल जमुई की सीट पर जंग दबरदस्त है। अर्चना रविदास जी तोड़ मेहनत कर रही हैं तो अरूण भारती के साथ उनके साले चिराग पासवान भी एड़ी चोटी एक कर रहे हैं। चिराग पासवान को भाजपा का जोरदार समर्थन प्राप्त हैं तो समस्तीपुर से जदयू नेता अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को टिकट देकर चिराग ने जदयू से अपनी अदावत को खत्म कर लिया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जदयू भी भरपुर सहयोग कर रही है। ऐसे में चिराग पासवान के जीजा अरूण भारती का पलड़ा फ़िलहाल भारी दिख रहा है । लेकिन आखिरकार फैसला तो जमुई की जनता को करना है कि उसे परिवारवाद से आए अरुण भारती पसंद है या जमुई में विकास की नई गाथा लिखने का दावा करने वाली अर्चना रविदास। तो देखना होगा कि 19 अप्रैल की वोटिंग में मतदाता किसे ताज पहनाती है।

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