Hindu Nav Varsh 2024: मंगलवार से शुरू हो रहा है विक्रम संवत् 2081, इस साल राजनीतिक दलों में बढ़ेगी शत्रुता

Hindu Nav Varsh 2024: लखनऊ। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नूतन वर्ष का आरम्भ होता है इस वर्ष के राजा मंगल व मन्त्री शनि है।

“पिंगल”नामक सम्वत्सर व वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (Hindu Nav Varsh 2024) तिथि मंगलवार को रात्रि 09:44 तक रहेगी। नवरात्र व वर्ष का आरम्भ रेवती नक्षत्र में हो रहा है।

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नवरात्रि पूरे नौ दिन का

इस वर्ष का नवरात्र (Hindu Nav Varsh 2024) पूरे नौ दिनों का है 9 अप्रैल मंगलवार से प्रारम्भ होकर बुधवार 17 अप्रैल को पूर्णाहूति होगी।

कलश स्थापना मुहूर्त

कलश स्थापना मुहूर्त सूर्योदय के पश्चात प्रात: काल से लेकर सूर्यास्त पर्यन्त तक है। प्रतिपदा तिथि रात्रि 09:44 तक रहेगी।।
विशेष मुहूर्त दिवा 08:50 से 10:45 तक
अभिजित मुहूर्त 11:36 से 12:24 तक है।

                                      (ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय)
इस वर्ष के राजा मंगल व मन्त्री शनि

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि ज्योतिषीय (Hindu Nav Varsh 2024) ग्रहयोगानुसार मंगल ग्रह इस वर्ष के राजा व शनि मन्त्री हैं अतः भूकम्प व आगजनी से देश के कई भागों में नुकसान हो सकते है। राजनीतिक पार्टियों (Hindu Nav Varsh 2024)में विघटन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। किसी विषाक्त रोग के रोक थाम के लिए भारत सरकार के द्वारा नवीन औषधि का निर्माण सम्भव हो सकता है। देश में कानून व्यवस्था सख्त होगी। पर्वतीय क्षेत्रों में भूकम्प से काफी नुकसान हो सकते है ।

व्यापारी वर्ग के लिए शुभ है यह वर्ष

छोटे व बड़े वर्ग के विभिन्न क्षेत्रों के समस्त व्यापारी वर्गों (Hindu Nav Varsh 2024) के लिए यह वर्ष बहुत ही शुभ रहेगा। नृत्य कला व संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के लिए यह वर्ष काफी सुखद होगा। लौह व औषधि से जुड़े व्यापारियों के लिए यह वर्ष उत्तम रहेगा।

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राजनीतिक दलों में आपसी शत्रुता बढ़ने की आशंका

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि राजनीतिक दलों में आपसी मनमुटाव बढ़ेगा। अतःशान्ति के लिए भगवान शिव की उपासना श्रेयस्कर होगी। व साथ ही साथ सम्पूर्ण मानव जाति को चाहिए की माँ भगवती(Hindu Nav Varsh 2024) का ध्यान कर “जयन्ती मङ्गला काली भद्र काली कपालिनी,दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते”मन्त्र का मानसिक जप करते रहें है व दुर्गा सप्तशती का निष्ठा पूर्वक नित्य पाठ करें। जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण होगा।

कलश स्थापना के पश्चात माँ भगवती का पूजन षोडशोपचार वा पञ्चोपचार कर दुर्गासप्तशती का पाठ,नवार्ण मन्त्र का जप करें। प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए की मंगलवार के दिन मंगल ध्वज,आदि से घर को सुसज्जित करें ।

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