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Eid-al-Fitr Celebration देश भर में धूम-धाम से मनाई जा रही ईद-उल-फितर,अजमेर में खोला गया जन्नती दरवाजा

Eid-al-fitr Celebration अजमेर। राजस्थान के अजमेर  में हजारों लोगों ने ईद-उल-फितर के मौके पर सामुहिक रूप से सजदा किया। यहां महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर ईद की नमाज अदा की गई। वैसे तो पूरे देश के ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की गई लेकिन अजमेर के शाहजहानी मस्जिद कैसरगंज और नौसर के ईदगाह में सामुहिक रूप से इबादत का अद्भूत नजारा दिखा। इस मौके पर जन्नती दरवाजा खोला गया तो इसमें दाखिल होने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा

जन्नती दरवाजे में दाखिल होने के लिए उमड़े अकीदतमंद

खोला गया जन्नती दरवाजा

अजमेर के हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर स्थित कैसरगंज ईदगाह में ईद की नमाज के बाद हर साल जन्नती दरवाजा खोला जाता है। इस साल भी इस मौके पर हजारों लोगो ने जन्नती दरवाजे को खुलते देखा और अल्लाह की इबादत की। बता दें कि अहले सुबह 4:00 बजे आस्ताना शरीफ और जन्नती दरवाजा खोला गया। जन्नती दरवाजे से होते हुए जियारत के लिए अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। गौरतलब है कि गुरूवार की दोपहर 2:30 बजे तक यह दरवाजा खुला रहेगा।

जन्नती दरवाजा खोलने से पहले दागा गया तोप

अजमेर में सामुहिक इबादत का नजारा

बताते चलें कि अजमेर में जन्नती दरवाजा साल में चार बार खोला जाता है। पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस जन्नती दरवाज़ा को खोलने से पहले तोप दागी जाती है। आज जन्नती दरावाजा खोलने से पहले तोप दागी गई और इसे बाद नमाज अदा की गई। बताते चलें कि जन्नती दरवाजे में अकीदतमंद 7 बार दाखिल होते है। जन्नती दरवाजा ईद,बकरीद, ख्वाजा साहब का सालाना उर्स और हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर खुलता है। दुनियाभर से लोग इस जन्नती दरवाजे में दाखिल होने के लिए पहुंचते हैं।

सेवइयां खा कर ईद मनाते लोग

खीर और सेवइयां खाकर लोगों ने मनाई मीठी ईद

ईदगाह में नमाज क बाद लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद दी और अपने-अपने घरों को रवाना हुए। अकीदतमंदों ने अपने पूरे परिवार के साथ अजीज-ओ-अकारिब और मेहमानों को खीर और सेवइयां खिलाकर मुंह मीठा कराते हैं। इसके अलावा तरह- तरह के पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। महिलाओं ने अपने-अपने घरों में नमाज अदा की।

ईद के मौके पर दान-जकात का खास महत्व

गौरतलब है कि एक महीने की रमजान के बाद आयी ईद पर दान-जकात करने का रिवाज रहा है। नमाज अदा करने से पहले हर तरफ रोजेदारों ने गरीबों एवं जरूरतमंदों को सदका-ए-फितर दिया। कई लोगों ने जकात के रूप में भी दान किया। अमीर और संपन्न लोगों के घरों पर दान लेने वाले लोगों का तांता लगा रहा।

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