Lok Sabha Elections 2024: अपनों ने बढ़ाई राजस्थान में भाजपा की परेशानी, इन सीट पर रहेगी टक्कर!
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजस्थान में सियासी तपिश देखने को मिल रही है। पिछले दो चुनाव में यहां भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए 25 की 25 सीटें अपने नाम की थी। इस बार भी भाजपा ने राजस्थान में मिशन 25 के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। राजस्थान (Lok Sabha Elections 2024) में इस बार राजनीतिक परिस्थिति कुछ अलग नज़र आ रही है। राजस्थान में भाजपा के लिए अपने ही परेशानी का सबब बनते नज़र आ रहे है। चलिए जानते हैं किन सीटों पर भाजपा से बागी होकर कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर चुनावी मैदान में डटे हुए हैं….
राहुल कस्वां ने चूरू बढ़ाई मुश्किल:
राजस्थान की सबसे हॉट सीट मानी जा रही चूरू लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव के बाद माहौल बिगड़ा। इससे पहले यहां भाजपा के लिए कोई परेशानी नज़र नहीं आ रही थी। राजस्थान की सबसे सुरक्षित सीट चूरू को माना जा रहा था। लेकिन लोकसभा चुनाव में मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट कटने से उन्होंने बगावत का रास्ता अपना लिया। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस मौके भुना लिया और राहुल कस्वां को पार्टी ज्वाइन करते ही चूरू से टिकट थमा दिया। अब राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर रह सकती हैं।
हनुमान बेनीवाल इस बार कांग्रेस के साथ:
चूरू के सटी हुई नागौर सीट पर भी बीजेपी के लिए स्थिति कुछ ऐसी ही बनी हुई है। पिछले चुनाव में यहां बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी से गठबंधन किया था। ऐसे में नागौर से कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बार भाजपा के साथी रहे हनुमान बेनीवाल ने पाला बदल लिया है। अब वो कांग्रेस के साथ गठबंधन करके नागौर की सीट से भाजपा को चुनौती दे रहे है। हनुमान बेनीवाल की नागौर क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इससे अब यहां भी मुकाबला बहुत ही रोचक बना हुआ है।
बाड़मेर-जैसलमेर में भाटी का जोर!
देशभर की चर्चित सीटों की बात करें तो इसमें राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट को भी शामिल किया जा रहा है। इस सीट से भाजपा ने दिग्गज बीजेपी नेता कैलाश चौधरी को फिर टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने नए चेहरे पर दांव खेला है। इस सीट से शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय पर्चा भरा है। उनके नामांकन में उदमी भीड़ से सभी दलों की नींद उड़ गई है। बता दें भाटी ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ज्वाइन की थी। लेकिन शिव से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए थे। इस सीट पर अब मुकाबला त्रिकोणीय नज़र आ रहा है।
बिरला के सामने गुंजल:
चूरू, नागौर और बाड़मेर के साथ कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर भी इस बार मुकाबला रोचक बना हुआ है। कोटा से प्रह्लाद गुंजल ने बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। प्रह्लाद गुंजल हाड़ोती क्षेत्र के बड़े नेताओं में शुमार है। उनके आने से कांग्रेस पार्टी को ओम बिरला के सामने मजबूत कैंडिडेट मिल गया। लेकिन वो इस चुनाव में ओम बिरला के सामने कितनी चुनौती पेश कर पाएंगे ये तो चार जून को ही पता चल पायेगा।
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