Israel-Hamas war

Israel-Hamas war Story of Gaza Strip कहानी गाजा पट्टी कीः क्यों है यहां तबाही और मौत का मंजर ?

Israel-Hamas war Story of Gaza Strip डेस्क इजरायल के गाजा पट्टी में मौत और तबाही का मंजर है। इजरायल और फलस्‍तीनी आतंकवादी गुट हमास के बीच भीषण युद्ध के छः महीनों से उपर हो गए। 7 अक्टूबर 2023 में हमास ने इजरायली इलाके पर खतरनाक हमला किया जिसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए। जवाबी हमले में इजरायल ने पूरे गाजा पट्टी में तबाही मचा दी है। इजरायल ने एक दो हजार नहीं बल्कि 33000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया है। मरने वालों में सत्तर फीसदी से ज्यादा बच्चे और महिलाएं है। आंकड़े बता रहे हैं कि इस युद्ध में 14,350 बच्चों की मौत हुई है। ये हमास क्या है और क्यों इसे तबाह करने पर तुला है इजरायल आईए जानते हैं।

क्या है ये हमास

दरअसल हमास अपने आप को फलस्‍तीनी क्षेत्र का एक प्रमुख राजनीतिक दल बताता है। फीलीस्तीन क्षेत्र की सत्ता पर आज इसी दल का कब्जा है।असल में इसकी शुरूआत 1987 में हुई जब गाजा और वेस्ट बैंक पर इजरायल ने कब्जा कर लिया तब मुस्लिम ब्रदरहूड के नाम पर आक्रोशित युवकों का एक गुट खड़ा हो गया जो कट्टर इस्लामी सिद्धांतों का पक्षधर है। इस गुट ने गलगभग डेढ़ दशक तक संगठन को मजबूत करने में लगाया और वर्ष 2007 में गाजापट्टी में राजनीतिक विरोधियों को हिंसक तरीके से खदेड़ दिया। आज हमास गाजा पट्टी का एकमात्र शासक वर्ग बन गया है।आज इस गुट में हथियारबंद लड़ाकों की शाखा है जिसमें 30 हजार से ज्यादा खूंखार लड़ाके हैं। हालाकि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत दुनिया के अनेक देशों ने हमास के आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है ।

स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व हमास के कब्जे में

हमास के लड़ाकों का मानना है कि पूरी दुनिया में इस्लाम को राजनीतिक जीवन में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। हमास ने ताकतवर देश इजरायल को युद्ध में कड़ी चुनौती दी है। हमास के लड़ाकों ने अत्याधुनिक हथियारों को उपयोग और आत्मघाती हमलों के द्वारा पुरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। हमास अपनी हिंसक लड़ाई को स्वतंत्रता संग्राम कहता है और कहता है कि वह फलस्‍तीनी लोगों को इजरायल के कब्जे से मुक्त कराने और इजरायल पर फिर से कब्जा करके ही मानेगा।

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क्या है गाजा पट्टी का इतिहास

आज के इजरायल पर 19वीं सदी से पहले फीलीस्तीनियों का कब्जा था। 1947-48 में फीलीस्तीन में सिविल वार हो गया। 1948 में यहुदियों ने इजराइल पर कब्जा कर लिया और फीलीस्तियों को खदेड़ दिया। उसी समय अरब और इजरायली युद्ध के दौरान फीलीस्तीनियों की एक बड़ी आबादी मिस्त्र की सीमा पर बस गई। जिसे आज गाजा पट्टी कहते हैं। 1967 में एक और युद्ध में इजरायल ने गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर नियंत्रण हासिल कर लिया।

हमास ने गाजा पट्टी पर किया कब्जा

वर्ष 2005 में अन्तराष्ट्रीय दबाव में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपने 9000 सैनिकों को वापस बुला लिया। तब यह तय हुआ था कि गाजा पट्टी पर फलस्‍तीनी प्राधिकरण  का शाषण होगा जो वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों पर भी नियंत्रण रखेगा। तभी उस इलाके में हमास गुट के लड़ाकों ने फीलीस्तीन को इजरायल से मुक्त करने के लिए हिंसक आन्दोलन शुरू कर दिया।अपनी खास रणनीति के तहत फलस्‍तीनी गुट हमास ने वर्ष  2007 में गाजा के चुनाव में हिस्सा लिया और चुनाव जीतने के बाद इस इलाके पर अपनी सत्ता कायम कर ली। हमास के कब्जे के बाद आज तक वहां चुनाव नहीं हुए हैं। उधर तभी से इजरायल ने गाजा पर संपूर्ण नाकाबंदी कर रखा है। अब जमीन, हवा और समुद्री नाकाबंदी के बाद गाजापट्टी में रह रहे लोगों को भारी मुश्किल उठानी पड़ रही है।

आज गाजा पट्टी में हालात बद से बदतर

आज लगभग 41 किलोमीटर लंबी पट्टी में दुनिया की सबसे घनी आबादी निवास करती है। लगभग  20 लाख से ज्यादा फलीस्तीनी गाजा पट्टी में रह रहे हैं और नरक से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है। पूरी गाजा पट्टी इजरायली हमलों में तबाह हो गई। हर तरफ मौत का मंजर है। शहर और गांव तबाह हो चुके हैं। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। महिलाओं की जिंदगी नरक से भी बदतर हो गई है। गाजा पट्टी की अधिकांश आबादी युवा है जिसमें भी 19 से 20 वर्ष के युवकों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां रोजगार और आर्थिक विकास की कोई संबावना दूर-दूर तक नही दिख रही जिसके कारण बड़ी संख्या में लड़के हमास के हिंसक आन्दोलन में शामिल हो रहे हैं।

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