loader

Loksabha Election 2024 : राजनीति में आरक्षण के बिना महिलाओं की भागीदारी नगण्य, जानिए पिछड़ने की वजह

Loksabha Election 2024

Loksabha Election 2024 : जयपुर। भाजपा ने आज मेनिफेस्टो में महिला आरक्षण की बात की और 2029 में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का वादा किया है। लेकिन वर्तमान की बात करें तो राजस्थान में महिला मतदाता प्रतिशत तो काफी बढ़ा है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए महिला प्रत्याशियों की संख्या घटने का सिलसिला चिंता जनक है।

2009 में सबसे ज्यादा महिलाएं उतरी चुनावी मैदान में

लोकसभा चुनावों की बात करें तो लोकसभा के लिए 2009 में सबसे अधिक 31 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। जबकि इस बार 266 प्रत्याशियों में 19 ही महिला हैं। इनमें से भी 8 महिलाएं भाजपा या कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। यानी 20 साल बाद फिर वही स्थिति पर महिलाएं है और फिर से पहले की ही तरह 20 से कम महिलाएं मैदान में हैं।

महिला मतदाताओं ने पुरुषों को पछाड़ा

खुशी और सुकून की बात ये है कुल मतदाताओं में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है। पिछले चुनाव में 10 सीटों पर वोट प्रतिशत में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ा है। लेकिन पिछले चुनाव में सबसे अधिक महिला मतदान प्रतिशत वाली सीट बांसवाड़ा, बाड़मेर व गंगानगर में से केवल गंगानगर में ही दो महिला प्रत्याशी हैं। प्रदेश में 3 जगह भाजपा-कांग्रेस ने इस बार महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया।

यह भी पढ़े : Loksabha Election 2024 : कांग्रेस ने सरेंडर क्यों कर दिया ?…डोटासरा, पायलट को चुनाव लड़वाते…कांग्रेस से तीन बार जिला प्रमुख रहीं रेशम मालवीया का तंज

महिलाओं ने जहां किया सर्वाधिक मतदान, वहां नहीं महिला प्रत्याशी

मतदाताओं में महिलाओं की भागीदारी तो बढ़ रही है, लेकिन चुनाव में सक्रिय भागीदारी नहीं बढ़ी। इसका उदाहरण जालोर, सीकर और बांसवाडा़ लोकसभा सीट हैं। जहां महिलाओं ने मतदान प्रतिशत में पुरुषों को काफी पीछे छोड़ा था। लेकिन तीनों ही जगह एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है।

लोकसभा में कुछ ऐसी रही स्थिति

लोकसभा में राजस्थान से महिलाओं की मौजूदगी की बात करें तो 1952 और 1957 में पहली व दूसरी लोकसभा में एक भी महिला चुनाव जीतकर लोकसभा नहीं पहुंच सकी। इनमें पहले चुनाव में महज दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। लेकिन दूसरी लोकसभा में तो एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी। इसी तरह 1962 में छह में से एक, 1967 में दो में से एक, 1971 में चार में से दो, 1980 में पांच में से एक महिला प्रत्याशी जीत सकी। वहीं 1984 में छह में से दो, 1989 में छह में से एक, 1991 में 14 में से चार, 1996 में 25 में से चार, 1998 में 28 में से तीन, 1999 में 15 में से तीन, 2004 में 17 में से दो, 2009 में 31 में से तीन, 2014 में 27 में से एक और 2019 में 23 महिला प्रत्याशियों में से केवल तीन महिलाएं ही निर्वाचित हो सकीं हैं।

यह भी पढ़े : Amit Shah in Alwar: अलवर की रैली में अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना, बोले- आरक्षण पर भ्रम फैला रही है कांग्रेस

[web_stories title="true" excerpt="false" author="true" date="false" archive_link="false" archive_link_label="" circle_size="150" sharp_corners="false" image_alignment="left" number_of_columns="4" number_of_stories="8" order="DESC" orderby="post_date" view="grid" /]