Rewa borewell News: NDRF का 46 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, फिर भी नहीं बच सकी मासूम मयंक की जान
Rewa borewell News: रीवा। जिले के त्योंथर स्थित जनेंह के मनिका गांव में बोरवेल के अंदर फंसा 6 वर्षीय मयंक आदिवाशी की सांसे आखिरकार थम ही गई. 46 घंटे की जद्दोजहद के बाद NDRF की टीम ने मयंक के शव को बाहर निकल लिया. शुक्रवार की दोपहर 6 साल का मयंक आदिवासी अपने दोस्तों के साथ घर से कुछ ही दूरी पर खेलने के लिऐ गया हुआ था तभी अचानक से हादसा हुआ और वह बोरवेल के अंदर जा गिरा. घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस और SDERF के अलावा NDRF और जीला प्रशासन के टीम पहुंची थी और रेस्क्यू अभियान शुरु किया था.
बता दें की घटना त्योंथर विधनसभा क्षेत्र के जनेंह स्थित मनिका गांव की है, जहां शुक्रवार की दोपहर तकरीबन 3 बजे 6 वर्षीय मयंक आदिवासी घर से कुछ ही दूरी पर गेहूं के खेत अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिऐ गया हुआ था. तभी खेल खेल में अचनक से वह एक सूखे बोरवेल में जा गिरा. यह देख कर उसके दोस्तों ने दौड़ लगाई और मयंक को बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे. इसके बाद दोस्तों ने घटना के जानकारी मयंक के परिजनों को दी. घटना के बारे में सुनकर बदहवास परिजन दौड़कर मौके पहुंचे उन्होनें ने बोरवेल में झांक कर देखा तो मयंक के रोने के आवाज उन्हे सुनाई दी.
उन्होंने खेत के मलिक हीरामणि मिश्रा को बुलाया जिसके बाद हीरामनी मिश्रा ने भी मयंक को रस्सी के सहारे निकालने का प्रयास किया पर वह निकल न सका. बाद में हीरामणि वहां से चला गया पिता विजय कुमार का आरोप था, कि हीरामणि को कई बार फोन किया गया, लेकिन उनका फोन बंद था.
42 फीट की गहराई पर मिट्टी-पत्थरों के बीच दबा मिला 6 साल का मासूम…#Rewa #RescueOperation #MohanYadav #MadhyaPradesh #OTTIndia pic.twitter.com/C9nmpk3lub
— OTT India (@OTTIndia1) April 14, 2024
घटना की सूचना पाकर प्रशासनिक अमले के साथ पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. घटना स्थल पर डॉक्टरों की टीम के साथ एम्बुलेंस भी तैनात हुई. स्वास्थ विभाग के टीम ने तत्काल ऑक्सिजन सिलेंडर मंगाया और बोरवेल में उतारा गया, जिससे कि मयंक को सांसे दी जा सके. घटना के बाद मौके पर कैमरे की भी एक टीम बुलाई गई और बोरवेल में एक कैमरा भी उतारा गया था. जिससे बाहर लगे टीवी सक्रीन के माध्यम से बोरवेल के अन्दर मयंक के हलचल का पता लगाया जा सके लेकिन घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी टीवी स्क्रीन में मयंक की कोई हलचल नहीं दिखाई दी.
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मौके पर SDERF और बनारस से आई NDRF की टीम सहित 8 जेसीबी मशीनों द्वारा बोरवेल के पास से कुछ ही दूरी पर खुदाई का कार्य शुरु कराया गया था. मौके पर शनिवार को डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल भी पहुंचे थे. उनके द्वारा लागातार रेस्क्यु टीम को निर्देशित किया जा रहा था. घटना को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी घटना को दुखद बताते हुए चिंता जताई थी उन्होंने जिला प्रशासन से मयंक को बचाने के लिऐ हर संभव उपाय कर के उसे बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकालने के निर्देश जारी किए थे और लोगो से अपील की थी की वह किसी भी हालत में बोरवेल को खुला न छोड़े.
तकरीबन 46 घंटे तक चले रेस्क्यू अभियान में मयंक को सही सलामत बाहर नहीं निकला जा सका. बोरवेल के अंदर फंसे मासूम मयंक की सांसे थम गई. रेस्क्यू टीम ने रविवार की दोपहर तकरीबन 1 बजे मयंक के शव को बोरवेल से बाहर निकाला. मौके पर मौजूद मयंक के परिजनो का रो- रो कर बुरा हाल है. डॉक्टरों की टीम मयंक के शव को लेकर अस्पताल जाएगी जिसके बाद उसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा.
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जानकारी के मुताबिक जिस खेत में खुला हुआ बोरवेल छोड़ा गया था. हादसे के बाद खेत का मालिक अब गायब है. बीते कल मिडिया से बात करते हुए मयंक के पिता विजय कुमार आदिवासी का आरोप लगाया था कि खुले बोरबेल वाला खेत हीरामणि मिश्रा का है. घटना के बाद खेत के मलिक को सूचना दी गई थी इसके बाद वह मौके पर आए थे. उन्होंने बोरवेल में रस्सी डालकर मयंक को बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन कुछ देर बाद वह वहां से चले गए उन्हे फोन लगाया गया लेकिन फोन बंद था.