Loksabha Election 2024 Banswara Dungarpur : डूंगरपुर। लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में बांसवाड़ा- डूंगरपुर सीट काफी चर्चा में है, इसकी एक वजह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के प्रत्याशी बने महेंद्रजीत सिंह मालवीया हैं, जिनकी आदिवासी वोट बैंक पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। दूसरी वजह- कांग्रेस और बीएपी का गठबंधन है। जिसने राजकुमार रोत को चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अब यहां भाजपा जीत की हैट्रिक लगाती है या कांग्रेस-बीएपी गठबंधन के उम्मीदवार के सिर जीत का सेहरा सजता है, इसका फैसला यहां के 70 फीसदी एसटी वोटर्स के हाथ में है।
मालवीया लगवाएंगे बीजेपी की हैट्रिक ?
बांसवाडा- डूंगरपुर सीट पर लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग होगी। एसटी के लिए रिजर्व इस सीट पर हार जीत का फैसला भी यहां के 70 फीसदी एसटी वोटर के हाथ में ही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों के परिणामों पर गौर करें तो एसटी वोटर भाजपा का साथ देता आ रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मानशंकर निनामा यहां से सांसद बने। वहीं 2019 में भी भाजपा के कनकमल कटारा ने जीत दर्ज की। इस बार भाजपा ने यहां महेंद्रजीत मालवीया को चुनाव मैदान में उतारा है। मालवीया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, जिनकी आदिवासी वोट बैंक पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में भाजपा का दावा है कि वो यहां जीत की हैट्रिक लगाने जा रही है।
बीएपी भी दिखा चुकी ताकत
बांसवाड़ा- डूंगरपुर सीट पर लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी का दबदबा रहा हो। लेकिन, विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी भी अपनी ताकत दिखा चुकी है। विधानसभा चुनाव में चौरासी सीट पर बीएपी ने करीब 69 हजार मतों से जीत दर्ज की थी, जो कि पूरे प्रदेश में बड़े अंतर से जीत वाली दूसरी सीट थी। इसके अलावा डूंगरपुर, सागवाडा, घाटोल और बागीदौरा विधानसभा सीट पर बीएपी दूसरे स्थान पर रही। विधानसभा चुनाव में दोनों जिलों की 8 सीटों पर कांग्रेस ने 33.50 फीसदी, भाजपा ने 29.93 फीसदी और बीएपी ने 27.66 फीसदी वोट हासिल किए थे। जिससे जाहिर होता है कि बीएपी भी यहां मजबूती के साथ उभर रही है।
22 लाख में से 14 लाख वोटर एसटी
बांसवाडा- डूंगरपुर लोकसभा सीट पर करीब 22 लाख वोटर हैं। इसमें से 14 लाख 85 हजार वोटर एसटी वर्ग के हैं। करीब 3 लाख 17 हजार वोटर ओबीसी, एक लाख 67 हजार सामान्य, 80 हजार वोटर एससी और अन्य वर्ग के हैं। ऐसे में देखना होगा कि इस लोकसभा चुनाव में एसटी वोटर किसका साथ देता है। यहां भाजपा हैट्रिक लगाने में कामयाब रहती है या कांग्रेस और बीएपी का गठबंधन भाजपा के रथ को रोक लेगा, यह इन्हीं 70 फीसदी वोटर्स पर निर्भर है।