वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद की कार्बन डेटिंग की याचिका खारिज की

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग को लेकर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले पर आज वाराणसी कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है। हिंदू पार्टी ने कार्बन डेटिंग की मांग की। इस मांग को वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

कार्बन डेटिंग क्या है?

किसी वस्तु की आयु और समय निर्धारित करने की विधि कार्बन डेटिंग कहलाती है। कार्बन डेटिंग को रेडियोकार्बन डेटिंग भी कहा जाता है। कार्बन डेटिंग में कार्बन का एक विशेष समस्थानिक होता है जिसे C-14 कहा जाता है। इसका परमाणु द्रव्यमान 14 है। यह कार्बन रेडियोधर्मी है। और जैसा कि उक्त वस्तु नष्ट हो जाती है। इस तरह यह कार्बन भी कम होता है। इससे एक धातु और एक जीवित प्राणी की आयु निर्धारित होती है।

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ज्ञानवापी

हालांकि, शिवलिंग एक पत्थर है। धातुओं में कार्बन होता है। पत्थर में कार्बन नहीं होता है। इसलिए पत्थर की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। हालांकि शिवलिंग की स्थापना में धातु का प्रयोग किया जाता है। जानकारों की राय है कि इससे इसकी उम्र तय करने में मदद मिलेगी।

क्या मामला है?

वाराणसी में शंकर के मंदिर से सटे ज्ञान की एक मस्जिद है। ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी की पूजा की अनुमति के लिए पांच हिंदू महिलाओं द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन इस मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने इन महिलाओं की याचिका को चुनौती दी थी. हालांकि, समिति ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए अदालत में सुनवाई का विरोध किया। हालांकि, चूंकि कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की इजाजत दी है, इसलिए फिलहाल इस पर सुनवाई होगी।

इस संबंध में पांच महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट इस संबंध में 11 अक्टूबर को फैसला सुनाने वाली थी। हालांकि कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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