Lok Sabha Election 2024 First Phase मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए शुक्रवार 19 अप्रैल को मतदान होना है। मध्यप्रदेश में 29 में से जिन 6 सीटों पर पहले चरण मे मतदान होना है वहां भाजपा औऱ कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। क्या है मध्यप्रदेश के छः लोकसभा सीटों पर जीत- हार का समीकरण। किसकी होगी शह किसकी होगी मात कहना मुश्किल है। एमपी के पहले चरण में चली सियासी बयार के रूख को समझने के लिए पढ़िए उन सभी 6 सीटों का क्या है हाल हिसाब ?
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट –
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट सबसे हॉट सीट बन गई है। छिंदवाड़ा ही एक सीट है जो 2019 में कांग्रेस के खाते में गई थी । राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एव कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से फिर चुनावी मैदान में है। भाजपा ने नकुल नाथ के सामने विवेक बंटी को मैदान में उतारा है। विवेक बंटी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कहा जा रहा है कि विवेक बंटी ने छिंदवाड़ा का सियासी समीकरण बिगाड़ दिया है और कमलनाथ के बेटे नकूल नाथ को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। बताते चले कि इसके पहले वे दो बार कमलनाथ के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने छिंदवाड़ा सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और आक्रामक चुनाव प्रचार कर माहौल में गर्मी ला दी है। गृहमंत्री अमित शाह ने यहां रोडशो करके अपनी ताकत दिखाई है। यही नहीं पार्टी ने कमलनाथ के करीबी रहे रणबाकुंड़ों दीपक सक्सेना और कमलेश शाह को अपने पक्ष में कर लिया है। उधर कमलनाथ ने भी छिदवाड़ा में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि छिंदवाड़ा की सीट को कभी नहीं छोड़ेंगे। कमलनाथ ने अपने किले को बचाने के लिए खास रणनीति बनाई है। वे लोगों से 40 साल के संबंधों का हवाला दे रहे हैं।
बालाघाट लोकसभा सीट –
बालाघाट की लड़ाई भी बड़े रोचक मोड़ पर है। यहां भाजपा ने भारती पारधी को टिकट दिया है। भारती पारधी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। उधर कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी भारती पारधी को चुनौती देते हुए कांग्रेस ने पूर्व विधायक अशोक सरस्वार के बेटे सम्राट सिंह को मैदान में उतारा है। बालाघाट में इसबार लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। बसपा से कंकर मुंजारे के मैदान में उतरने से मुकाबला कठिन हो गया है। दरअसल यहां जातीय समीकरण के आधार पर जीत हार का फैसला हो सकता है। बसपा उमीदवार मुंजारे लोधी समुदाय से आते हैं। कांग्रेस को पहले उम्मीद थी कि बालाघाट विधायक और कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे के कारण लोधी वोट कांग्रेस को मिलेगा , लेकिन, कंकर मुंजारे के मैदान में उतरने से सारा खेल बिगड़ गया है। वहीं भारती पारधी जिस पंवार समुदाय से आती हैं उन्हें इस समाज के वोट मिलने की उम्मीद है, लेकिन इंडिया गठबंधन ने इस वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जातियों के खेल में किसकी जीत होती है।
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मंडला में कांटे की टक्कर –
भाजपा उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते हाल ही में मधयप्रदेश के विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। क्षेत्र में जनता उनसे नाराज है लेकिन कुलस्ते को मोदी लहर पर भरोसा है। इसके अलावा राम मंदिर फैक्टर अगर काम कर गया तो उनकी बात बन सकती है। उधर कांग्रेस उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम आदिवासियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। उन्हें इसका फायदा मिलता दिख रहा है। पिछले विधानसबा चुनाव में मंडला में कांग्रेस ने कमाल किया है औऱ 8 में से 5 सीटें जीती हैं। इस लिहाज से मंडला में कांटे की टक्कर हो गई है। इन सबके बीच मंडला में गोंगपा ने महेश कुमार वट्टी को टिकट देकर लड़ाई में रोचकता बढ़ा दी है। महेश कुमार उच्च शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं सात ही वे गोंडी साहित्यकार भी हैं। वे जीसीएफ जबलपुर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं। गोंगपा को लेकर भी चर्चा है, वो परिणाम पर भी असर डाल सकते है।
शहडोल में कांग्रेस की ताकत की परख –
मध्यप्रदेश के शहडोल में भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह कांग्रेस के फुंदेलाल मॉर्को पर लगातार बढ़त बनाए हुए है। दरअसल कांग्रेस को शहडोल में कोई मजबूत कैंडिडेट नहीं मिला तो आखिरी समय में फुंदेलाल मार्को को टिकट दिया गया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित शहडोल सीट पर फिलहाल भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है । पिछले विधानसबा चुनाव में भी भाजपा ने आठ विधानसभा सीटों में से सात सीटों पर जीत हासिल की थी। सबकी नजर इस बात पर लगी है कि कांग्रेस का चाल काम करेगा कि नहीं।
सीधी लेकसभा सीट का हाल हिसाब –
सीधी में कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। कमलेश्वर पटेल भाजपा प्रत्याशी डॉ. राजेश मिश्रा के सामने अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि सीधी में पेशाब कांड का वीडियो वायरल होने के बाद कमलेश्वर पटेल का राजनीतिक कैरियर दांव पर लग गया है। यह वीडियो वायरल करने में डॉ. राजेश मिश्रा के पुत्र की भूमिका की चर्चा है। इसे लेकर सीधी के पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला भी डॉ. राजेश मिश्रा से नाराज हैं। चर्चा ये भी है कि सीधी में भाजपा को भीतरघात का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व सांसद रीति पाठक भी यहां डॉ. मिश्रा के लिए कुछ नहीं कर रही हैं। रीति पाठक को उम्मीद थी कि इसबार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन वहां से उनको निराशा हाथ लगी जिसके कारण वह नाराज बताई जाती हैं।
जबलपुर में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी –
मध्यप्रदेश का जबलपुर भी हॉट सीट बना हुआ है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार दिनेश यादव शुरूआती प्रचार अभियान में ही पिछड़ते नजर आए। जबलपुर में पीएम मोदी समेत भाजपा के स्टार प्रचारकों ने इस क्षेत्र में अपनी ताकत झोंक दी। कहा तो यह जा रहा है कि जबलपुर मे कांग्रेस कुछ निराश दिख रही है। भाजपा के आशीष दुबे ने कांग्रेस के दिनेश यादव को कड़ी चुनौती दी है। दरअसल जबलपुर सीट पर कांग्रेस को 1991 के बाद कभी जीत नहीं मिली है। दूसरा कारण है कि कांग्रेस को भीतरगात का सामना भी करना पड़ रहा है। कांग्रेस के कई कद्दावर नेता मसलन महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी और एकता ठाकुर भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है।
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