Hanuman Temples in Rajasthan: मंगलवार यानी 23 अप्रैल को हनुमान जयंती मनायी जाएगी। इस दिन लोग मंदिरों में जाते हैं, हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान के मंदिरों (HanumanTemples in Rajasthan) की हनुमान जयंती पर विशेष महत्ता है। राजस्थान में कई ऐसे हनुमान मंदिर हैं जिनकी महिमा दूर-दूर तक फैली है। आज हम इस आर्टिकल में आपको राजस्थान के हनुमान मंदिरों के बारे में बताएँगे जहाँ आपको हनुमान जयंती के दिन जरूर जाना चाहिए। मान्यता है कि इन स्थानों का प्रताप इतना तेज़ है कि सच्चे मन से आने वाले सभी भक्तों की मनोकाना यहाँ दर्शन मात्र से ही पूर्ण हो जाती है।
राजस्थान के इस मंदिर में होता है भूत प्रेतों का इलाज
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर(HanumanTemples in Rajasthan) भारत के राजस्थान के दौसा जिले में स्थित भगवान हनुमान को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर अपने अनूठे अनुष्ठानों और भूत-प्रेत भगाने की प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसका उद्देश्य बुरी आत्माओं को दूर रखना और भक्तों को विभिन्न कष्टों से मुक्ति दिलाना है। मेहंदीपुर बालाजी का ये धाम भगवान हनुमान के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में गिना जाता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (HanumanTemples in Rajasthan)भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है और अपने जीवन में सांत्वना और दैवीय हस्तक्षेप चाहने वाले तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता रहता है। माना जाता है कि यहां जिन व्यक्तियों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं का वास होता है, वे मंदिर में प्रवेश करने से ही चीखने-चिल्लाने लगते हैं और फिर वे बुरी आत्माएं, भूत-पिशाच आदि पीड़ितों के शरीर से बाहर निकल जाती हैं।
मंदिर परिसर में भगवान हनुमान के साथ-साथ भगवान भैरव और भगवान भैरवी जैसे अन्य देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं। माना जाता है कि मुख्य देवता, भगवान हनुमान, के पास भक्तों को बुरे प्रभावों से बचाने और उन्हें स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की शांति का आशीर्वाद देने की असाधारण शक्तियां हैं। पूरे भारत से भक्त मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आते हैं, खासकर वे जो आध्यात्मिक या मानसिक कष्टों से राहत चाहते हैं। यह मंदिर भूत भगाने से जुड़े अपने विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है, जहां माना जाता है कि आत्माओं के वश में होने वाले व्यक्तियों को मंदिर के पुजारियों द्वारा आयोजित विस्तृत समारोहों से गुजरना पड़ता है।
सालासर बालाजी धाम, जहाँ विराजते हैं दाढी—मूंछ वाले हनुमान जी
सालासर बालाजी धाम (HanumanTemples in Rajasthan)राजस्थान के चुरू जिले में स्थित भगवान हनुमान को समर्पित एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान में सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के मुख्य देवता भगवान हनुमान हैं, जिन्हें यहां बालाजी के नाम से जाना जाता है, उन्हें दाढ़ी और मूंछों के साथ दर्शाया गया है, एक अनोखी विशेषता जो आमतौर पर अन्य हनुमान मंदिरों में नहीं देखी जाती है। मंदिर (HanumanTemples in Rajasthan) की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी में हुई जब सालासर गांव में भगवान हनुमान की मूर्ति चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई थी। गौरतलब है कि 18 वीं सदी में परमभक्त मोहनदास महाराज ने यह मंदिर बनवाया था। यहाँ के बालाजी महाराज को चूरमे का भोग सार्वधिक प्रिय है।
मंदिर परिसर में भक्तों के लिए आवास, भोजन कक्ष और प्रार्थना कक्ष जैसी सुविधाओं के साथ-साथ विभिन्न देवताओं को समर्पित कई अन्य मंदिर भी शामिल हैं। मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है, खासकर हनुमान जयंती (HanumanTemples in Rajasthan) और नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान। सालासर बालाजी धाम का एक मुख्य आकर्षण प्रसाद के रूप में नारियल चढ़ाने की प्रथा है, जिसके बारे में भक्तों का मानना है कि इससे उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें नुकसान से बचाया जाता है। मंदिर स्थानीय समुदाय के कल्याण में योगदान देते हुए नियमित धार्मिक और धर्मार्थ गतिविधियाँ भी आयोजित करता है।
भक्त आशीर्वाद, आध्यात्मिक मार्गदर्शन और परेशानियों और कष्टों से राहत पाने के लिए सालासर बालाजी धाम आते हैं। मंदिर का शांत वातावरण और इसके भक्तों की आस्था आध्यात्मिक रूप से आकर्षित करते है। सालासर बालाजी धाम का एक मुख्य आकर्षण प्रसाद के रूप में नारियल चढ़ाने की प्रथा है, जिसके बारे में भक्तों का मानना है कि इससे उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें नुकसान से बचाया जाता है।
सालासर में बाबा के धोक लगाकर यहां से बाबा को लगाया गया सिंदूर घर ले जाने की भी परंपरा है। धोक लगाने के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में बालाजी सहित अन्य देवी-देवताओ (HanumanTemples in Rajasthan) के आगे और दीवारो पर जगह-जगह लगे सिंदूर को उतार कर कागज पर लगाकर घर ले जाते हैं। जो बालाजी के आशीर्वाद स्वरूप वर्ष भर लगाते रहते हैं। श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के बाद मनौती का नारियल व धागा भी यहाँ बांधते हैं। मान्यता है कि यहां धागा बांधने वालों की मनौती बाबा जरूर पूरी करते है भक्त मनौती पूरी होने पर धागा खोलकर बालाजी को धन्यवाद देते है। बालाजी की चौखट पर पंहूचने वाले हर श्रद्धालुओं की मनोकामना बालाजी अवश्य पूरी करते हैं।
खोले के हनुमान जी
राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित खोले के हनुमान जी (HanumanTemples in Rajasthan) का मंदिर भक्तों के आस्था का बड़ा केंद्र है। हालांकि जयपुर दिल्ली हाइवे के पास पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। कहा जाता है कि लगभग 70 साल पुराने खोले के हनुमान जी मंदिर की स्थापना पंडित राधे लाल चौबे ने की है। जिनको शहर के पूर्वी हिस्से की पहाड़ियों में बहते बरसाती नाले और पहाड़ के बीच एक निर्जन स्थान में लेटे हुए हनुमान जी की विशाल मूर्ति मिली थी। तत्पश्चात उन्होंने यहां हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया और अंत तक यहीं रहे। बाद में राज्य सरकार ने इस स्थान का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करवाकर इसे विशाल स्वरूप देने का काम किया।
किदवंतियों के अनुसार पहाड़ों के खोले में स्थित होने के कारण ही इस स्थान का नाम खोले के हनुमान जी पड़ा। आज यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि सच्चे दिल से आने वाले भक्तों की हर मनोकामना खोले के हनुमान जी जरूर पूरी करते हैं।
पांडुपोल मंदिर में ही हनुमानजी ने तोड़ा था भीम का घमंड
पांडुपोल हनुमान मंदिर (HanumanTemples in Rajasthan) एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो राजस्थान के अलवर के पास सरिस्का टाइगर रिजर्व के भीतर स्थित है। अभ्यारण्य की हरी-भरी हरियाली के बीच स्थित, यह मंदिर अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर वह स्थान माना जाता है जिस जगह पर हनुमानजी की प्रतिमा स्थित है, उसी जगह पर हनुमानजी ने भीम का घमंड तोड़ा था। यहां हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा इस मंदिर को ख़ास बनाती है।
उल्लेखनीय है कि पांडुपोल मंदिर (HanumanTemples in Rajasthan) में हर साल भादो शुल्क पक्ष की अष्टमी के दिन मेला लगता है। हनुमान जन्मोत्सव पर यहां विशेष आयोजन किये जाते हैं। जिसमें बहुत बडी संख्या में श्रद्धालु पांडुपोल हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहाँ दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती है। गौरतलब है कि इस मंदिर में हनुमानजी की शयन प्रतिमा स्थापित है जिस मूर्ति की स्थापना भी पांडवों ने की थी। कथाओं के अनुसार जिस जगह पर हनुमानजी भीम का घमंड तोड़ने के लिए बुजुर्ग वानर का रूप धारण करके लेटे थे, उसी जगह पर हनुमानजी की प्रतिमा विराजमान है।
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