Bhilwara lok Sabha Seat: लोकल मुद्दों पर देश का चुनाव लड़ रहे हैं सीपी जोशी
Bhilwara lok Sabha Seat:भीलवाड़ाः पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी 2009 में भीलवाड़ा से संसद पहंचे थे और अगला लोकसभा चुनाव 2014 में जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से मोदी लहर के चलते हार गए। अब 15 साल बाद जोशी फिर भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र में घूम रहे हैं। लोगों को याद दिला रहे हैं, कि इलाके की सबसे बड़ी पानी की समस्या का समाधान उन्होंने ही किया था। समर्थक उन्हें भागीरथ और विकास पुरुष बताते हैं। इसी साख के बूते इस बार वे भावी सांसद की हैसियत से एक लाख रोजगार का वादा कर रहे हैं। हांलाकि उनके सामने मोदी के उम्मीदवार दामोदर अग्रवाल और पिछले चुनाव के 6 लाख 11 हजार वोटों के अंतर को पाटने की बड़ी चुनौती है।
विकास पुरुष की छवि बनाने की कोशिश
सीपी जोशी की रणनीति है, कि चुनाव लोकल मुद्दों पर ही लड़ा जाए। कभी इस जिले में पानी की समस्या सबसे बड़ी थी। 2009 में जब सीपी जोशी यहा से सांसद बने तो चंबल का पानी लाने के लिए उन्होंने भरपूर सफल प्रयास किए। पानी भले ही उनके कार्यकाल खत्म होने के बाद आया, लेकिन जिले में पानी की समस्या का एक हद तक निदान हो गया। जोशी अपनी इसी विकास पुरुष वाली साख को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिले में बेरोजगारी बड़ी समस्या है औऱ जोशी के पास इसका समाधान है। वे सिरेमिक इंडस्ट्री के जरिए एक लाख जॉब पैदा करने का दावा कर रहे हैं। जोशी हरगिज नहीं चाहते कि चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर लड़ा जाए। वे जनसभा में संसदीय शासन प्रणाली से लेकर कांग्रेस के शासनकाल में हुए विकास की बातें बताते हैं। लोगों को समझाते हैं कि भागवान राम मोदी सरकार के पहले भी थे।
मोदी के उम्मीदवार से मिल रही है कड़ी चुनौती
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे बड़े मार्जिन से भीलवाड़ा में फैसला हुआ था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजाप ने क्षेत्र की 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भीलवाड़ा विधानसभा सीट पर आरएसएस समर्थित उम्मीदवार विजयी हुए थे। कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट आई थी। इसके बावजूद भाजपा ने सांसद सुभाष बहेड़िया की जगह दामोदर अग्रवाल को मैदान में उतारा है। कहा जाता है कि आरएसएस में काम करने के दौरान दामोदर अग्रवाल कुछ वक्त के लिए नरेंद्र मोदी के साथ रहे थे। मोदी तब सत्ता की राजनीति से दूर संघ के लिए काम कर रहे थे। इसलिए दामोदर अग्रवाल को भाजपा या संघ के बजाए मोदी का उम्मीदवार कहा जा रहा है।
कांग्रेस संगठन ही सक्रिय नहीं
कांग्रेस ने यहां पर पहले दामोदर गुर्जर को टिकट दिया था, लेकिन राजसमंद में कांग्रेस प्रत्याशी सुदर्शन रावत के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद पार्टी ने दामोदर गुर्जर को राजसमंद शिफ्ट कर सीपी जोशी को यहां से चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दे दी। इस तरह सीपी जोशी न चाहते हुए भी मैदान में उतर गए। उनकी मुश्किलें खुद कांग्रेसियों ने बढ़ा दी है, जो पूरी तरह से सक्रिय नहीं हैं। जिले में लंबे समय से संगठन कमजोर है। जिला कार्यकारिणी खाली पड़ी है। मंडल अध्यक्षें के पद भी नहीं भरे हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त भी यही स्थिति थी। भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 6 लाख दलित, डेढ़ लाख भील मीणा, 2.75 लाख ब्राम्हण, सवा दो लाख गुर्जर, पौने दो लाख जाट, डेढ़ लाख वैश्य और सवा लाख मुस्लिम मतदाता हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान ही सीपी जोशी ने राजस्थान फर्स्ट से बात की….
सवाल- कांग्रेस के बड़े नेताओं में सिर्फ आप ही हैं, जो लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि चर्चा थी कि कई बड़े नेता चुनाव लड़ेंगे।
जवाब- कांग्रेस पार्टी में पहले से विचार था, कि बड़े नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए। मुझे पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए कहा, तो मैं लड़ रहा हूं।
सवाल- बाकी बड़े खड़े होते तो एक अलग माहौल बनता। कार्यकर्ताओं में भी उत्साह होता।
जवाब- यह प्रश्न उन्हीं से पूछना चाहिए।
सवाल- आपके चुनाव प्रचार में 2009 में संसद के रूप में आपके कार्यकाल की चर्चा होती और आपको भागीरथ बताया जा रहा है।
जवाब- इस इलाके में पीने के पानी की बड़ी भयंकर समस्या थी, गांव-गांव में दो-दो तीन-तीन किलोमीटर तक पानी नहीं मिलता था। शहर में भी पानी का संकट था। यहां ट्रेनों से पानी आता था। तब मैंने कहा था कि सांसद बना तो पीने के पानी की समस्या से निजात दिलाऊंगा, नहीं तो वोट मांगने नहीं आऊंगा। मंत्री बनने पर मैंने स्कीम बनवाई, वित्तीय स्वीकृति दिलाई, अन्य प्रक्रियाओं में टाइम लग गया। काम प्रारंभ हो गया, लेकिन गांव में पानी नहीं पहुंचा, तो मैंने कहा था कि जब तक पानी नहीं पहुंचेगा, तब तक मैं इस सीट से चुनाव नहीं लडूंगा, इसलिए इस सीट से चुनाव नहीं। यह मेरी एक साख है, जिसे आज भीलवाड़ा के भाई बहन याद करते हैं।
सवाल- इस बार मतदाता क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जवाब- मैंने यहां रेलवे के कारखाने का फाउंडेशन करवाया, इस्पात कारखाने के लिए प्रयास किया। इस तरह के कारखाने लगेंगे तो जॉब अपॉर्चुनिटी बढ़ेगी। यहां सिरेमिक की बहुत बड़ी इंडस्ट्री लग सकती है, सिंथेटिक का बड़ा सेंटर बन सकता है। हमारी कोशिश है कि दोबारा सांसद बने, तो यहां के नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे।
सवाल- आप एक लाख रोजगार का आश्वासन दे रहे हैं ।
जवाब- हमने यहां पानी की व्यवस्था कराकर प्रोसेस हाउस में रोजगार की संख्या बढ़ाई है। नेशनल हाईवे बनाकर सर्विस के अवसर उपलब्ध कराए हैं। स्किल ट्रेनिंग का केंद्र बनाया, जिससे लोग रोजगार पा रहे हैं। यह हम कर चुके हैं, यह हमारे क्रेडेंशियल हैं। इसलिए अब उसको बड़े पैमाने पर करेंगे। इस्पात का, खाद का, सेरेमिक इंडस्ट्री का कारखाना लगेगा। हम जो लोग आश्वासन दे रहे हैं उसे पूरा करने की हमारी योजना है। उसके अंतर्गत हम 1 लाख का रोजगार का दावा कर रहे हैं। यह हमारी साख है, हम जो कहते हैं वह करते हैं।
सवाल- राम मंदिर कितना बड़ा मुद्दा है।
जवाब- हमने संसदीय लोकतंत्र बनाया, जिसके अंतर्गत लोगों के लिए नीतियां बनाई जानी चाहिए, उन पर अमल होना चाहिए। 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने वादा किया था हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का। 10 साल में 20 करोड़ नौकरियां मिलनी चाहिए थी। ऐसी कौन सी नीतियां बनाई जिससे रोजगार बढ़ाते। आज आपने अग्नि वीर योजना बनाई, उसमें 5 साल की सर्विस करने के बाद आगे क्या करेगा, कोई सोच नहीं है। 40 लाख पोस्ट खाली हैं, उनको भर नहीं पाए। लोगों को जॉब देने के लिए आप कोई पॉलिसी नहीं बना पाए। भगवान राम का मंदिर कोर्ट के फैसले से बना है। राजनीतिक दल का कर्तव्य है कि वो नीतियां बनाकर लोगों को आगे बढ़ाए। क्या हमने परमाणु बम नहीं बनाए, क्या हमने इसरो जैसे संस्थान खड़े नहीं किए, हमने कारखाने नहीं खड़े किए।
सवाल- भीलवाड़ा में पिछली बार भाजपा सबसे ज्यादा मार्जिन से जीती थी, उसे कैसे कवर करेंगे।
जवाब- पहला इंडिकेशन है, इतने बड़े मार्जिन के बावजूद उम्मीदवार क्यों बदला। हम अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। जब रिजल्ट आएगा, तब आप देखेंगे कि हमने क्या किया।
सवाल- उम्मीदवार तो भीलवाड़ा में कांग्रेस ने भी चेंज किया है।
जवाब- कांग्रेस के उम्मीदवार बदलने और बीजेपी की उम्मीदवार बदलने में अंतर है। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं, लेकिन यहां भाजपा के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं, यहां मोदी के उम्मीदवार के नाम पर वोट मांग रहे हैं। उम्मीदवार बदलना राजनीतिक पार्टी की रणनीति होती है, उसके आधार पर फैसला होता है।
सवाल- पहले दौर में काफी कम वोटिंग हुई है।
जवाब- इलेक्शन कमीशन ज्यादा वोटिंग के प्रयास कर रहा है, भावना के आधार पर वोट मांगे जा रहे हैं, फिर भी वोटिंग कम हो रही है, तो उन्हें समझना चाहिए। इसक मतलब है, आपकी पॉलिसी के बारे में मतदाता भ्रमित है, इसलिए वोट कम डाल रहे हैं।