Jharkhand Politics: चपंई सोरेन को हेमंत सोरेन ने कैसे कर दिया चित? हेमंत का नितीश स्टाईल

Jharkhand Politics: झारखंड में कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन को लेकर लगातार सस्पेंस बढ़ता जा रहा है चंपई बीजेपी में जाएंगे रिटायरमेंट लेंगे या फिर अपनी एक अलग से पार्टी बनाएंगे इसको लेकर अब तरह-तरह की अटकलें रोजाना लगाई जा रही है, वहीं विधानसभा चुनाव से पहले अब बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है जिसके बाद चंपई अब अलग पड़ गए हैं यानी यह कहा जाए की चंपई सोरेन जो अभी तक जो सपना संजोकर बैठे थे अब उनका सपना धराशाही होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि 2 दिन पहले चंपई सोरेन झारखंड से दिल्ली के लिए जब रवाना हुए थे तो उनके हाथ में मजबूत पकड़ थी यानी उनके पास कुल 4 से 5 विधायक बताए जा रहे थे जो की बहुत ही वफादार कहे जाते थे लेकिन अब चंपई सोरेन अकेले पड़ चुके हैं क्योंकि उनके चार वफादार साथियों ने मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति न सिर्फ वफादारी दिखाई है बल्कि हेमंत सोरेन के प्रति निष्ठा की शपथ भी ली है, चंपई सोरेन पिछले हफ्ते दिल्ली पहुंचे थे और वहां से उन्होंने मुख्यमंत्री पद से अनौपचारिक रूप से हटाए जाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा अगुवाई के खिलाफ अपने पोस्ट के जरिए एक नाराजगी भी जाहिर की थी

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बिहार की राजनीति में भी इस तरह का किस्सा नीतीश कुमार और मांझी के बीच हुआ था

 

इसी साल जनवरी के महीने में एक जमीन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद हेमंत ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी चुना था और उन्हें झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया था, हेमंत सोरेन ने शायद यह सोचकर चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया था कि बाहर निकालने के बाद बड़ी ही आसानी से वह झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाएंगे,  इसमें हम देखें तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक बार इसी फार्मूले के तहत काम करते हुए जीतन राम मांझी को भी मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन बाद में जब चेतन राम मांझी से इस्तीफा मांगा गया था तो जीतन राम मांझी और नितिश कुमार के बीच में आपसी खटपट की खबर सामने आई थी जो जग जाहिर है और विधानसभा में भी नितिश कुमार ने जीतन राम मांझी को खूब खरी खोटी सुनाई थी हालांकि उस दौरान नितिश कुमार ने भाषा की मर्यादा को भी ताख पर रख दिया था ठीक वैसे ही मौजूदा परिदृश्य में झारखंड की राजनीति में देखने को मिल रहा है, दरअसल इसकी शुरुआत उसे वक्त हुई जब हेमंत सोरेन जमानत पर रिहा होने के बाद बाहर आए उन्होंने जुलाई में चंपई को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया उनके पहले भी नाराज होने की खबरें लगातार सामने आ रही थी लेकिन हाल ही में जब सोशल मीडिया पोस्ट चंपई सोरेन ने किया उसे वक्त झारखंड की राजनीति में खलबली मच गई इसलिए चंपई को कथित तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के चार साथियों और पार्टी से निकल गए अन्य विधायकों का समर्थन मिला था उनके इस कदम से झारखंड मुक्ति मोर्चा मैं पूरी तरह से खलबली मच गई थी और बीजेपी को आदिवासी पार्टी और इंडिया ब्लॉग पर हमला बोलने का एक मौका भी मिल गया था

 

चंपई सोरेन वापस घर पहुंचे बोले दिल्ली चश्मा ठीक करने गया था

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी अपनी पार्टी पर अपनी पकड़ पूरी तरह से मजबूत कर ली है कहा तो यह भी जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के चार करीबी अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सर्वे सर्वा हेमंत सोरेन से मुलाकात करके सत्य निष्ठा की कसम भी खा चुके हैं, और बीजेपी में जाने की जो अटकले अभी तक लगाई जा रही थी वह एक तरह से खारिज हो गई है , इन चारों विधायकों के बारे में आपसे बताएं तो नाम है रामदास सोरेन, संजीव सरदार, मंगल कालिंदी, मोहंती, लेकिन अब झारखंड की राजनीति में जो सियासी उठा पटक की खबरें सामने आ रही थी वह अब शांत पड़ती दिखाई दे रही है क्योंकि चंपई सोरेन अब वापस रांची पहुंच चुके हैं और उन्होंने अब जोर देकर कहा कि दिल्ली के यात्रा के दौरान उन्होंने किसी भी भाजपा नेता से किसी भी तरह का कोई संपर्क नहीं किया था साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि चंपई सोरेन कह रहे हैं कि मैं अपना चश्मा ठीक करने दिल ले गया था,

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अब चंपई कहां जाएंगे?

झारखंड की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने के दौरान अपमान सहने की बात कह चुके चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में बने रहेंगे या बीजेपी में शामिल होंगे इस बात पर सस्पेंस बना हुआ है सरायकेला में उन्होंने साफ किया है कि वह राजनीति से संन्यास तो नहीं लेने वाले हैं लेकिन उनके पास अभी दो विकल्प बताया जा रहा है, कहा यह जा रहा है कि वह या तो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं लेकिन इसकी संभावना अब ना के बराबर भी है दूसरी बात यह भी कहीं जा रही है कि चंपई अपना एक अलग से संगठन खड़ा कर सकते हैं जो कोल्हान इलाके में मुख्य रूप से एक्टिव होगा, सूत्रों के हवाले से यह भी बातें कही जा रही हैं कि रांची या फिर जमशेदपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें भाजपा में शामिल करने की भी करवा दे चल रही हैं,

 

हेमंत सोरेन ने कोल्हान इलाके के विधायकों को इकट्ठा करने की शुरू की कवायद

एक तरफ चंपई सोरेन अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी कुर्सी बचाने के साथ-साथ पार्टी को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान इलाके के सभी विधायकों को इकट्ठा करने की कवायद शुरू कर दी है कहा तो यह भी जाता है कि कोल्हान इलाके की कई सीटों पर चंपई सोरेन का बहुत बड़ा असर है ऐसे में हेमंत सोरेन के रातों की नींद चंपई सोरेन ने उड़ा रखी है लेकिन जिस तरह से चार विधायकों ने चंपई सोरेन का साथ रातों-रात छोड़ दिया उसके बाद तो अब सारी चीज हेमंत सोरेन के हाथों में दिखाई दे रही हैं बहरहाल राजनीति में कब क्या हो जाए नहीं पता फिलहाल आने वाले समय में झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होना है और ऐसे में हेमंत सोरेन के लिए चंपई सोरेन कहीं कोई बड़ी मुश्किल ना खड़ी कर दें इस बात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता