प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 25 अगस्त को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। कार्यक्रम के 113वें एपिसोड में मोदी ने कई विषयों पर चर्चा की और बेंगलुरु स्थित एक उभरते अंतरिक्ष तकनीक स्टार्ट-अप के संस्थापकों से भी बातचीत की।
PM मोदी ने की आईआईटी मद्रास की तारीफ
मोदी ने बेंगलुरु स्थित स्टार्ट-अप गैलेक्सआई के पांच संस्थापक सदस्यों से बात की। ये सभी संस्थापक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के पूर्व छात्र हैं। पीएम मोदी ने गैलेक्सआई की महत्वाकांक्षाओं और इसरो व अन्य संस्थानों के सहयोग से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसके योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले साल आईआईटी मद्रास के वार्षिक दीक्षांत समारोह में शामिल होने का अवसर मिला था और वहां की शिक्षा प्रणाली को देखकर उन्हें गर्व हुआ। मोदी ने बताया कि भारतीय युवा अब विदेशों की बजाय भारत में ही अपनी क्षमताओं का उपयोग कर रहे हैं और विशेष रूप से अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं।
एक लाख युवाओं को राजनीति में आने का आह्वान किया गया
पीएम मोदी ने कहा कि 2023 में चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी हिस्से के शिव-शक्ति बिंदु पर सफल लैंडिंग की। भारत इस सफलता को प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया। मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि इस साल लाल किले से एक लाख युवाओं को राजनीति में आने का आह्वान किया गया। उन्होंने बताया कि इस आह्वान पर काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इससे स्पष्ट होता है कि बड़ी संख्या में युवा राजनीति में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उन्हें बस सही अवसर और मार्गदर्शन की तलाश है। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ युवाओं ने लिखा है कि उनके पास जमीनी स्तर पर काम करने का अच्छा अनुभव है, जिससे वे लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। कुछ युवाओं ने यह भी लिखा कि परिवारवादी राजनीति नई प्रतिभाओं को दबा देती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रयास हमारे लोकतंत्र को और मजबूत करेंगे।
असम को लेकर PM ने बहुत कुछ कहा
पीएम मोदी ने कहा कि असम के तिनसुकिया जिले के एक छोटे से गांव, बारेकुरी, में मोरान समुदाय के लोग रहते हैं। इस गांव में ‘हूलॉक गिबन’ नामक प्रजाति के बंदर भी पाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘होलो बंदर’ कहा जाता है। इन हूलॉक गिबन्स ने गांव में ही अपने निवास बना लिए हैं। गांववासियों का इन गिबन्स के साथ गहरा रिश्ता है और वे आज भी अपनी पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हैं। जब उन्हें पता चला कि गिबन्स को केले बहुत पसंद हैं, तो उन्होंने केले की खेती शुरू कर दी। इसके अलावा, उन्होंने यह तय किया कि गिबन्स के जन्म और मृत्यु से जुड़ी सभी रीतियों को भी उसी प्रकार से पूरा करेंगे, जैसे वे अपने लोगों के लिए करते हैं।
अरुणाचल के युवा पशुओं के प्रति अपनी भावना में पीछे नहीं हैं
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भी हमारे युवा पशुओं के प्रति अपनी भावना में पीछे नहीं हैं। वहाँ कुछ युवाओं ने 3-D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करना शुरू कर दिया है ताकि वन्य जीवों को सींगों और दांतों के लिए शिकार से बचाया जा सके। नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में एक टीम 3-D प्रिंटिंग के माध्यम से जानवरों के सींग और दांत जैसे हिस्सों की नकल करती है। इन प्रिंटेड हिस्सों का उपयोग ड्रेस और टोपी बनाने में किया जाता है, जिससे वास्तविक जानवरों की शिकार की जरूरत कम हो जाती है। यह एक शानदार विकल्प है, जिसमें बायो-डिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग किया जाता है। ऐसे अद्भुत प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए और मुझे आशा है कि अधिक से अधिक स्टार्ट-अप्स इस क्षेत्र में काम करेंगे ताकि हमारे पशुओं की सुरक्षा हो सके और हमारी पारंपरिक प्रथाएँ भी कायम रह सकें।
पोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने बच्चों के पोषण के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि पोषण हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि साल भर इस पर ध्यान दिया जाता है, सितंबर महीने के दौरान विशेष रूप से इस पर जोर दिया जाता है। 1 सितंबर से 30 सितंबर तक, देशभर में पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पोषण मेले, एनीमिया शिविर, नवजात शिशुओं के घर का दौरा, सेमिनार और वेबिनार जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही, आंगनवाड़ी के तहत मातृ एवं शिशु समिति की स्थापना की गई है और पोषण अभियान को नई शिक्षा नीति से भी जोड़ा गया है। मोदी ने लोगों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र में पोषण जागरूकता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लें और बच्चों के संतुलित विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
विदेशों में संस्कृत के प्रति लगाव
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ-साथ विश्व संस्कृत दिवस मनाने का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत और विदेशों में संस्कृत के प्रति विशेष लगाव देखा जा रहा है और दुनिया के कई देशों में संस्कृत भाषा पर शोध और प्रयोग किए जा रहे हैं। मोदी ने संस्कृत के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि यह भाषा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।