बदलापुर कांड: आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मौत, रिवॉल्वर छीनकर की थी फायरिंग
महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापूर में दो छोटी बच्चियों से स्कूल में यौन उत्पीड़न करने के मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई है। बता दें कि आरोपी ने पुलिस की रिवॉल्वर छीनकर पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी। यह घटना पुलिस गाड़ी में तब हुई जब आरोपी को पुलिस तलोजा जेल से अपने साथ ले जा रही थी। जानकारी के मुताबिक आरोपी अक्षय ने पुलिस पर कई राउंड फायरिंग की। इस दौरान पुलिस के एक अधिकारी भी घायल बताए जा रहे हैं।
जवाबी कार्रवाई में अक्षय शिंदे का मौत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि आरोपी के फायरिंग करने के बाद पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। जिसमें अक्षय गोली लगने की वजह से घायल हो गया था। घायल अक्षय शिंदे को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी मौत हो गई।
क्या है मामला?
महाराष्ट्र के बदलापुर में 12 और 13 अगस्त को एक स्कूल में सफाईकर्मी द्वारा दो छोटी बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। यौन उत्पीड़न का खुलासा तब हुआ जब बच्चियों ने इस बारे में अपने माता-पिता को बताया। इस मामले में स्कूल के एक सफाई कर्मचारी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया गया था।
वहीं, बच्चियों के साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटना सामने आने के बाद इसके विरोध में आम लोग सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों ने करीब 10 घंटे तक बदलापुर रेलवे स्टेशन पर ट्रैक को जाम कर दिया था।
क्या हुआ था 12 अगस्त को
एफआईआर के अनुसार, बच्ची ने कहा कि संदिग्ध ने 12 अगस्त को टॉयलेट में उसका यौन शोषण किया और उसने इसके बारे में अपने माता-पिता को बताया। माता-पिता स्कूल गए लेकिन स्कूल ने कोई कार्रवाई नहीं की।
‘पोक्सो एक्ट’ के तहत मामला दर्ज
विशेष जांच टीम ने बदलापुर स्कूल प्रशासन के खिलाफ ‘पोक्सो एक्ट’ के तहत मामला दर्ज कर किया, क्योंकि उन्होंने बाल यौन शोषण की घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी थी। बता दें कि ये कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार और सार्वजनिक व राजनीतिक आक्रोश के बाद की गई। शिकायत दर्ज करने के लिए माता-पिता को 11 घंटे का इंतजार करना पड़ा था।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने खुद लिया था संज्ञान
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर में दो बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले पर खुद संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि लड़कों को छोटी उम्र से ही महिलाओं और लड़कियों का सम्मान करना सिखाना जरूरी है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सरकारी नारे को बदलते हुए नया नारा दिया था ‘बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ।’