कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को MUDA मामले में सोमवार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्यपाल थावर चंद गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को दर्ज करने के लिए तीन लोगों को दी गई स्वीकृति को चुनौती दी गई थी। बता दें कि यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा उनकी पत्नी बीएम पार्वती को दी गई भूमि से संबंधित है।
याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच जरूरी
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में जो भी तथ्य बताए गए हैं उनकी जांच करने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्यपाल स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं और अभियोजन स्वीकृति राज्यपाल द्वारा विवेक का सही उपयोग न करने की समस्या से ग्रसित नहीं है। पीठ ने जोर देकर कहा कि याचिका में वर्णित तथ्यों की जांच की आवश्यकता है। इससे पहले कि इसे खारिज किया जाए।
तीन कार्यकर्ताओं ने की थी राज्यपाल से शिकायत
बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत से जुलाई में तीन कार्यकर्ताओं टीजे अब्राहम, स्नेहमई कृष्णा और प्रदीप कुमार एसपी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ MUDA मामले में घाटाले की शिकायत की थी। इसके बाद 16 अगस्त को राज्यपाल ने सिद्धारमैया के खिलाफ MUDA साइट आवंटन मामले में जांच की स्वीकृति दी थी। जिसके बाद 19 अगस्त को सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया।
क्या है मामला
विवाद मैसूरु में सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को 14 प्रीमियम साइटों के आवंटन के इर्द-गिर्द केंद्रित है। ये सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के रूप में दी गई थीं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यह आवंटन अवैध था और इससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
विवादित भूमि 3.16 एकड़ का एक हिस्सा है, जो मूल रूप से किसी अन्य पार्टी के स्वामित्व में था। आरोप है कि 2005 में इसे सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज को हस्तांतरित कर दिया गया। जबकि इसे 1998 में खरीदी गई संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था। कार्यकर्ताओं का दावा है कि मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2004 में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर भूमि को अवैध रूप से हासिल किया।
12 सितंबर को ही कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई पूरी की, जिसमें उन्होंने MUDA साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच की स्वीकृति को चुनौती दी थी, और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
क्या कहा सिद्धारमैया ने?
सिद्धारमैया ने अपनी सफाई में कहा है कि उनकी पत्नी को जिस भूमि के लिए मुआवजा मिला, वह 1998 में उनके भाई द्वारा दी गई थी। मुआवजा भाजपा के शासन के दौरान स्वीकृत किया गया था। उन्होंने इन आरोपों को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। बीजेपी ने सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग की है और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की अपील की है।
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