SC ने NCPCR को लगाई फटकार, कहा-‘हमें अपने एजेंडे में मत घसीटिए’, जानिए क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को NCPCR को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि वह झारखंड में मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरिज ऑफ चैरिटी’ के आश्रय गृहों द्वारा कथित तौर पर बेचे गए बच्चों के मामलों की SIT की जांच की मांग को लेकर अदालत को अपने एजेंडे में न खींचे।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और नोंग्मेइकापम कोटिस्वर सिंह की एक पीठ ने बाल अधिकारों की राष्ट्रीय आयोग (NCPCR) की कड़ी आलोचना करते हुए उनके द्वरा दायर याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि NCPCR द्वारा दायर याचिका में मांगी गई राहत अस्पष्ट है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
पीठ ने NCPCR के लिए पेश हुए वकील से कहा, “सुप्रीम कोर्ट को अपने एजेंडे में मत खींचें। आपकी याचिका में किस प्रकार की राहत मांगी गई है? हम ऐसी निर्देश कैसे पारित कर सकते हैं? यह याचिका पूरी तरह से गलत है।”
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग
बता दें कि NCPCR के वकील ने दायर याचिका में झारखंड में सभी ऐसे संगठनों की समयबद्ध जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निर्देश देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NCPCR को जांच करने और बाल अधिकारों की सुरक्षा अधिनियम (CPCR) 2005 के तहत कानून के अनुसार कार्रवाई करने का अधिकार है। जिसके बाद पीठ ने NCPCR की याचिका को खारिज कर दिया।
आयोग ने लगाए कई आरोप
बता दें कि NCPCR ने 2020 में दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 23 के तहत मानव तस्करी के निषेध के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि विभिन्न राज्यों में बाल गृहों में विसंगतियां पाई गई हैं। दायर याचिका में झारखंड में बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों का उल्लेख किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य में अधिकारियों ने नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह दृष्टिकोण अपनाया है।
याचिका में बताया गया, “याचिकाकर्ता NCPCR की जांच के दौरान पीड़ितों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। जिसमें पता चला की बच्चों को बालगृह से बेचा जा रहा था। इन तथ्यों से राज्य सरकार (झारखंड) को अवगत भी कराया गया, लेकिन जांच को बाधित करने और पटरी से उतारने के लिए लगातार प्रयास किए गए।”
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