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किसानों पर बयान देकर फंस गईं कंगना रनौत, कहा- ‘आई टेक माय वर्ड्स बैक..’

बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। कंगना ने कहा कि उन्होंने किसानों से अपील की थी कि वे प्रधानमंत्री से कृषि कानून वापस लाने की मांग करें।  इस बयान के बाद सियासी हलकों में इसे लेकर चर्चा तेज हो गई।, जिसने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कंगना के इस बयान को लेकर बीजेपी ने तुरंत अपनी दूरी बना ली और इसे निजी विचार बताया।

विवाद के बाद कंगना ने लिया बयान वापस

इस बढ़ते विवाद के बीच और पार्टी से फटकार मिलने के बाद कंगना रनौत ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। इस वीडियो में उन्होंने कहा कि उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि वे केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता भी हैं।

कंगना ने आगे कहा, “हम सभी कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का सम्मान करें।” उनका यह बयान पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को दर्शाता है।

कंगना ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे किसान कानूनों के बारे में सवाल किए, और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को पीएम जी से निवेदन करना चाहिए। मेरी इस बात से बहुत से लोग निराश हैं। जब यह कानून आया था, तब कई लोगों ने समर्थन किया था, लेकिन हमारे पीएम ने संवेदनशीलता से इसे वापस ले लिया। मेरे विचार मेरे खुद के नहीं होने चाहिए, मेरी पार्टी का स्टैंड होना चाहिए। अगर मैंने अपनी सोच से किसी को निराश किया है तो मुझे खेद है। मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।”

क्या था मामला?

कंगना रनौत ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा था कि , “मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है, लेकिन तीनों कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के चलते केंद्र ने इन्हें निरस्त कर दिया था। कंगना ने आगे कहा था, “किसान देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए इन कानूनों की वापसी की मांग करें।”  पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कांग्रेस ने उठाया मुद्दा

कंगना के इस बयान के बाद कांग्रेस ने इसका हवाला देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी 2021 में निरस्त किए गए तीन कानूनों को फिर से लाने की कोशिश कर रही है, और हरियाणा इसका करारा जवाब देगा। कंगना के इस बयान के चलते उन्हें अपनी पार्टी से भी आलोचना का सामना करना पड़ा। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, “कंगना की ओर से कृषि कानूनों पर दिया गया बयान उनका व्यक्तिगत विचार है। वह बीजेपी की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कंगना रनौत की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की रग-रग में किसान विरोधी नफरती मानसिकता बसी हुई है। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के खिलाफ है।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “750 किसानों की शहादत के बाद भी किसान विरोधी बीजेपी और मोदी सरकार को अपने घोर अपराध का अहसास नहीं हुआ। अब किसान-विरोधी तीन काले कानूनों को फिर से लागू करने की बात की जा रही है। कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को गाड़ी के नीचे कुचलने का काम किया और उनके खिलाफ कंटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीलें और बंदूकें जैसे उपायों का इस्तेमाल किया। खरगे ने कहा, “ये सब कुछ भारत के 62 करोड़ किसान कभी भूल नहीं पाएंगे।”

क्या था कृषि कानून?

बता दें किसानों के विरोध के चलते तीन कृषि कानून—कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम—को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था। किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ और संसद द्वारा इन कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ। इन कानूनों को जून 2020 में लागू किया गया था, लेकिन इसके बाद किसानों ने उन्हें लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। अब खरगे के बयान ने फिर से इस मुद्दे को गरमा दिया है।

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