महिलाओं ने पूर्व चेयरमैन को रस्सी से बांध कर कीचड़ से नहलाया, कहा- भगवान को खुश करना था
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में एक अनोखा वाकया सामने आया, जब कुछ महिलाओं ने नौतनवा नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन गुड्डू खान को उनके घर से बाहर बुलाकर बंधक बना लिया। जैसे ही पूर्व चेयरमैन घर से बाहर निकले, महिलाओं ने उन्हें रस्सियों से बांध दिया और बाल्टियों में भरे कीचड़ से नहलाना शुरू कर दिया।
पूर्व चेयरमैन की प्रतिक्रिया
गुड्डू खान की प्रतिक्रिया इस पूरे घटनाक्रम को और भी दिलचस्प बना देती है। उन्होंने कहा, “मैं महिलाओं की इस हरकत से बिल्कुल नाराज नहीं हूं। उन्होंने जो किया, वो गांव की भलाई के लिए था।” जब महिलाओं ने अपनी मंशा बताई, तो वे खुद भी मुस्कुरा उठे।
गुड्डू खान ने महिलाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए कहा, “मैं परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि नगर की महिलाओं की मुराद पूरी हो और हमें बारिश मिले, जिससे गर्मी से राहत मिले और खेती में मदद मिले।”
महाराजगंज में मंगलवार को महिलाओं ने पूर्व चेयरमैन को बंधक बनाकर कीचड़ से नहलाया है। यह सब भगवान इंद्र को खुश करने के लिए किया गया। माना जाता है कि इंद्र देव बारिश के देवता हैं। वह खुश होते हैं तो बारिश होती है।गर्मी से परेशान महिलाओं ने फिर से बारिश के लिए यह टोटका आजमाया है। pic.twitter.com/lJy83pOfsh
— yogesh hindustani (@yogeshhindustan) September 24, 2024
बारिश लाने के लिए यह एक प्रथा
गांल की महिलाओं का कहना था कि गांव में बारिश लाने के लिए यह एक प्रथा है। यहां की मान्यता है कि यदि किसी प्रमुख व्यक्ति को कीचड़ से नहलाया जाए, तो इंद्र देव खुश होते हैं और बारिश होती है। हालात ऐसे हैं कि लोग गर्मी और सूखे से परेशान हैं, और नलों का पानी भी सूख रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, बारिश का मौसम आखिरी चरण में है, लेकिन कई जगह बारिश नहीं हो रही है, जिससे किसानों की फसल भी प्रभावित हो रही है। महिलाएं इसी चिंता के चलते गुड्डू खान के पास पहुंचीं और इस पुरानी परंपरा का पालन किया।
कई जगह कराते हैं मेढक की शादी
भारत के ग्रामीण इलाकों में बारिश लाने के लिए कई अनोखी और दिलचस्प परंपराएं प्रचलित हैं। इनमें से एक है मेढक की शादी। यह परंपरा मुख्य रूप से सूखे के मौसम में आयोजित की जाती है, जब किसान और गांव वाले बारिश की कमी से परेशान होते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि मेढक की शादी कराने से इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और बरसात का मौसम आरंभ होता है।
इस परंपरा में, पहले मेढकों को सजाया जाता है। उन्हें रंग-बिरंगे कपड़े पहनाए जाते हैं और विशेष आभूषण से सजाया जाता है। फिर एक विशेष स्थान पर मेढकों को एकत्र किया जाता है और वहां पर एक मंडप सजाया जाता है। मंडप के चारों ओर फूलों और पत्तियों की सजावट की जाती है। इसके बाद, ग्रामीण मेढकों की शादी की रस्में पूरी करते हैं, जैसे कि फेरे लेना और एक-दूसरे को आशीर्वाद देना।
ग्रामीणों का मानना है कि मेढक की शादी से बारिश आती है, क्योंकि मेढक की आवाज और उनकी गतिविधियों को बारिश के आगमन का संकेत माना जाता है। जब मेढक की शादी होती है, तो यह संकेत होता है कि मौसम बदलने वाला है। यह परंपरा एक सांस्कृतिक विश्वास का हिस्सा है, जो सदियों से चली आ रही है।