वाईएसआर कांग्रेस (वाईएसआरसीपी) प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी अब तिरुमला तिरुपति मंदिर नहीं जाएंगे। रेड्डी ने अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षा में गड़बड़ी होने की संभावना की वजह से यह फैसला लिया है। जगन मोहन रेड्डी ने तिरुपति मंदिर जाने का निर्णय उस समय लिया था जब यह आरोप लगाया गया कि उनके कार्यकाल में मंदिर के प्रसाद लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाई जाती थी।
बता दें कि वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख ने गुरुवार को कहा था कि वह भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर तिरुमला तिरुपति मंदिर आएंगे, जो उनकी पार्टी द्वारा आहूत राज्यव्यापी मंदिर अनुष्ठानों का हिस्सा था। यह अनुष्ठान मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा तिरुपति लड्डुओं पर लगाए गए कथित आरोपों के रूप में पापों का प्रायश्चित करने के लिए किया जा रहा था।
रेड्डी ने नायडू सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
मंदिर की यात्रा से पहले जगन मोहन रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने राज्य सरकार पर तिरुमला मंदिर की उनकी यात्रा में बाधा डालने का आरोप लगाया। पूर्व आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा, ”राज्य में राक्षसी शासन जारी है। सरकार मेरी आगामी तिरुमला मंदिर यात्रा में बाधा डालने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने राज्य भर में YSRCP नेताओं को मंदिर यात्रा के संबंध में नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में कहा गया है कि तिरुमला मंदिर की यात्रा की अनुमति नहीं है और YSRCP द्वारा आयोजित कार्यक्रम को आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है। इसके चलते नेताओं को उस कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है।”
‘तिरुपति लड्डू विवाद का इस्तेमाल ध्यान भटकाने का प्रयास’
जगन मोहन रेड्डी ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि तिरुपति लड्डू विवाद का इस्तेमाल वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। रेड्डी ने कहा, “एक तरफ वे मेरी यात्रा में बाधा डालने के लिए नोटिस जारी करते हैं, जबकि दूसरी तरफ भाजपा के कार्यकर्ता राज्य में प्रवेश कर रहे हैं और कई जगहों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। मुझे नहीं पता कि भाजपा नेतृत्व को इस बात की जानकारी है या नहीं।”
‘चंद्रबाबू नायडू झूठा दावा कर रहे हैं’
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रेड्डी ने जोर देकर कहा, “चंद्रबाबू नायडू झूठा दावा कर रहे हैं कि तिरुमला लड्डुओं को बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया, जो मंदिर की पवित्रता और गौरव पर हमला है। क्या यह उचित है? चंद्रबाबू नायडू लड्डू प्रसादम के बारे में खुलकर झूठ बोल रहे हैं।”
TTD सख्त और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करता है।
नायडू के दावों को निराधार बताया
रेड्डी ने तिरुपति लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी में जानवरों की चर्बी के आरोपों पर कड़ा जवाब देते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की निविदा प्रक्रिया का बचाव किया। उन्होंने नायडू के दावों को निराधार बताया। रेड्डी ने बताया कि TTD सामग्री, जिसमें लड्डुओं की तैयारी के लिए उपयोग किया जाने वाला घी भी शामिल है, को प्राप्त करने के लिए एक सख्त और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करता है।
‘हर 6 महीने में निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं’
रेड्डी ने कहा, “हर छह महीने में लड्डू के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं और L1 बोलीदाता, जो सबसे कम कीमत का प्रस्ताव करता है को TTD बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाता है। इसमें कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता। TTD बोर्ड में उन व्यक्तियों को भी शामिल किया जाता है जिनका सिफारिश केंद्रीय मंत्रियों और अन्य राज्य के मुख्यमंत्रियों द्वारा किया गया है, जिससे यह एक विशेष निकाय बनता है।”
2019-2024 के बीच घी को 18 बार अस्वीकृत किया गया
रेड्डी ने यह भी बताया कि गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के कारण घी को अस्वीकृत करने का मुद्दा उनके और नायडू दोनों के कार्यकाल के दौरान नियमित रूप से होता रहा है। पूर्व सीएम ने कहा, “2014 से 2019 के बीच चंद्रबाबू नायडू के शासन में गुणवत्ता मुद्दों के कारण 14-15 बार घी को अस्वीकृत किया गया। इसी तरह 2019 से 2024 के बीच घी को 18 बार अस्वीकृत किया गया। यह गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त प्रक्रिया का हिस्सा है।”
कैसे शुरू हुआ विवाद
बता दें कि यह एक विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर में अर्पित किए जाने वाले पवित्र लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। बाद में लैब रिपोर्टों ने भी इन दावों की पुष्टि की गई। जिसमें पता चला कि जगन मोहन रेड्डी के प्रशासन के दौरान पवित्र मिठाइयों को बनाने के लिए उपयोग किया गया घी घटिया गुणवत्ता का था और इसमें बीफ का तेल और लार्ड दोनों थे।
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